चिलखारी के बलिदानियों को बरसी पर एक फूल भी नसीब नहीं

देवरी (गिरिडीह) बिहार की सीमा से सटा गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड का यह चिलखारी मैदान

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:20 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 01:20 AM (IST)
चिलखारी के बलिदानियों को बरसी पर एक फूल भी नसीब नहीं
चिलखारी के बलिदानियों को बरसी पर एक फूल भी नसीब नहीं

देवरी (गिरिडीह) : बिहार की सीमा से सटा गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड का यह चिलखारी मैदान है। मंगलवार को इस मैदान एवं आसपास मातमी सन्नाटा था, मगर इसके बीच ही कुछ बच्चे फुटबाल खेल रहे थे। आज 26 अक्टूबर 2007 की आधी रात को संथाली जात्रा के दौरान माओवादियों ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की हत्या कर दी थी। घटना को 14 साल पूरे हो गए। माओवादियों का खौफ आज भी इतना है कि 14 वीं बरसी पर भी इन बलिदानियों को किसी ने पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि तक नहीं दी।

दरअसल, उस घटना के बाद से ही यहां माओवादियों का खौफ स्वजनों के दिल में घर कर गया। वे आंखों में आंसू भरे रहते हैं, मगर बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि नहीं दे पाते। कलप कर रह जाते हैं। घटना में मारे गए लोगों के स्वजनों के आंसू आज भी रुके नहीं हैं। 14 वीं बरसी पर न कोई जनप्रतिनिधि यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचा ना ही कोई नेता आया। गांव में आज भी इस मामले पर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। हालांकि, घटना में मारे गए लोगों के स्वजनों को मुआवजा व नौकरी मिली मगर आदर्श गांव के लिए स्टेडियम व पुल की मांग अभी पूरी नहीं हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि उस घटना की खबर सुनते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, डीजीपी बीडी राम, विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, रवींद्र कुमार राय, झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन सहित प्रदेश व गिरिडीह जिले के कई आला अधिकारी व नेता आए थे। स्वजनों को दिलासा देते हुए सरकारी नौकरी व एक-एक लाख रुपये मुआवजा एवं कई जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने की घोषणा की थी। यहां के ग्रामीण गांव में स्टेडियम बनवाने, बूढ़े मां बाप को वृद्धा पेंशन, इंदिरा आवास, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने, इसे आदर्श गांव बनाने, चिलखारी से दुमाटांड़ के बीच से स्थित नाला पर पुल निर्माण कराने की मांग करते आ रहे हैं। मगर, इसके बीच ही वे उन लोगों की आत्मा की शांति को लेकर एक पुष्प भी अर्पित नहीं कर पाते जिन्होंने शहादत दे दी। और तो और किसी नेता ने भी संवेदनाओं को मरहम श्रद्धांजलि के रूप में नहीं लगाया।

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