डीएवी के डायरेक्टर- प्रिसिपल समेत पांच पर ठगी का केस

गिरिडीह डीएवी स्कूल सरिया के भवन निर्माण के बाद ठेकेदार को राशि भुगतान नहीं करने क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 07:39 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 07:39 PM (IST)
डीएवी के डायरेक्टर- प्रिसिपल समेत पांच पर ठगी का केस
डीएवी के डायरेक्टर- प्रिसिपल समेत पांच पर ठगी का केस

गिरिडीह : डीएवी स्कूल सरिया के भवन निर्माण के बाद ठेकेदार को राशि भुगतान नहीं करने का मामला सामने आया है। ठेकेदार लक्ष्मी नारायण शर्मा ने निर्माण की राशि नहीं मिलने पर लाचार होकर न्यायालय से फरियाद की है। शर्मा ने सीजेएम के न्यायालय में दायर परिवाद पत्र में डीएवी के प्रेसिडेंट पूनम सूरी, डायरेक्टर जेपी सूरी, जनरल सेक्रेट्री आरएस शर्मा, एआरओ झारखंड जोन अरुण कुमार, डीएवी कडरू रांची के प्रिसिपल एमके सिन्हा एवं डीएवी सरिया के प्रिसिपल एके झा को आरोपित किया है। इस बारे में ठेकेदार के अधिवक्ता अजय कुमार सिन्हा मंटू ने बताया कि शर्मा ने सरिया स्थित श्री रामकृष्ण आश्रम डीएवी पब्लिक स्कूल के भवन निर्माण को लेकर 15 फरवरी 2019 को एक एकरार हुआ था। इसमें सात सौ 51 रुपये प्रति स्कवार फीट की दर से 75 लाख 47 हजार 64 स्कवार फीट भवन निर्माण किया जाना तय हुआ। स्कूल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद आर्किटेक्ट ने भवन की मापी की। इसमें मापी 71 लाख बीस हजार 160 स्कवार फीट निर्माण पाया गया। साथ ही स्कूल में टाइल्स लगाने व रंगाई करने का भी कार्य किया गया। इसमें अतिरिक्त राशि ठेकेदार का खर्च हुआ। एकरारनामा के अनुसार ठेकेदार को राशि भुगतान नहीं किया गया। स्कूल प्रबंधन ने ठेकेदार को 68 लाख से अधिक की राशि का भुगतान नहीं किया। ठेकेदार शर्मा ने लगातार स्कूल के प्रिसिपल और वरीय प्रबंधन से बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया था पर प्रिसिपल और स्कूल प्रबंधन ने टाल मटोल का रवैया अख्तियार कर भुगतान नहीं किया। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक अक्टूबर 2019 में हुई थी जिसमें बगोदर के विधायक विनोद सिंह, एसिस्टेंट रिजनल मैनेजर अरुण कुमार, कडरू के प्रिसिपल एमके सिन्हा और सरिया डीएवी के प्रिसिपल एके झा शामिल हुए थे। बैठक में ठेकेदार के दावे को सही बताया गया। कहा गया कि ठेकेदार को बकाया राशि का भुगतान किया जाए। इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन ने बकाया 68 लाख और 18 फीसदी ब्याज के दर से कुल एक करोड़ तीन लाख की राशि का भुगतान नहीं किया है। राशि का भुगतान नहीं होने पर स्कूल प्रबंधन को एडवोकेट नोटिस देकर सूचित किया गया था। इसके बाद भी ठेकेदार को राशि नहीं दी गई। लाचार ठेकेदार उसने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

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