बुरे वक्त के लिए हमेशा रहें तैयार : प्रसन्नसागर
डुमरी (गिरिडीह) अहिसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने निमियाघाट
डुमरी (गिरिडीह): अहिसा संस्कार पदयात्रा के प्रणेता आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने निमियाघाट की 20 पंथी कोठी में महाअर्चना महोत्सव पर गुरुवार को भक्तों से कहा कि अक्षय तृतीया का पर्व सुख सौभाग्य का पर्व है। जैन दर्शन कहता है कि आदिनाथ स्वामी ने 14 वें कुलकर के पर्याय में किसानों के बोलने से कि हे राजन ये बैल सारी फसल खा जाते हैं वे क्या करें। तब उन्होंने भावावेश में बोल दिया कि जाओ इन बैलों के मुख पर मुसिका बांध दो। उन किसानों ने बैलों के मुख पर मुसिका बांध दी। छह घड़ी के लिए जब वे कुलकर के पर्याय से जेनेश्वरी दीक्षा धारण करते हैं तो छह माह तक विधि नहीं मिली और वे आहार के लिए घूमते रहे। कर्म सिद्धांत कहता है कि जो जैसा कर्म करता है उससे वैसा फल मिलता है। महाराज ने कहा कि बुरे दिन के लिए तैयार रहो जिदगी में बुरे दिन कभी भी आ सकते हैं। बेटा कभी भी मुख मोड़ सकता है, दोस्त कभी भी धोखा दे सकता है, किस्मत कभी भी फूट सकती है व दुनिया कभी भी छूट सकती है। जिदगी में थोड़े से ही लोग ऐसे होते हैं जो दुख दर्द की कड़क धूप में साया बनकर मदद करते हैं, बाकी तो खुद गर्म होते हैं। सुख के सब साथी दुख में ना कोई। तुम सबका भला करो व सबकी सेवा करो, फिर भी लोग तुम्हारी काट में रहेंगे क्योंकि यह दुनिया बड़ी जालिम है। यह हंसने भी नहीं देती ना रोने देती है। जीने भी नहीं देती व मरने भी नहीं देती। जिदगी के गमों के लिए हमेशा तैयार रहो। गम को बुरा मत कहो क्योंकि उसके बाद खुशी मिलती है। वह बड़ी गहरी है इसलिए जिदगी में हम कई बार असफल भी होते हैं इसका मतलब यह तो नहीं कि हम सब्र को खो बैठे और आत्महत्या कर लें।