कोरोना से मौत के बाद बिना पीपीई कीट में पैक किए शव को भेजा श्मशान घाट

गिरिडीह सदर अस्पताल की व्यवस्था को लेकर वैसे तो आम दिनों में भी उंगलियां उठती ही रहती

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:13 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:13 PM (IST)
कोरोना से मौत के बाद बिना पीपीई कीट में पैक किए शव को भेजा श्मशान घाट
कोरोना से मौत के बाद बिना पीपीई कीट में पैक किए शव को भेजा श्मशान घाट

गिरिडीह : सदर अस्पताल की व्यवस्था को लेकर वैसे तो आम दिनों में भी उंगलियां उठती ही रहती हैं, लेकिन इस कोरोना काल में उसकी करतूत से आज अस्पताल में भर्ती मरीज से लेकर उसके स्वजन समेत अन्य संक्रमण के फैलाव को लेकर भयभीत हैं। भयभीत हों भी क्यों नहीं, अस्पताल प्रबंधन ने कुछ ऐसी ही लापरवाही बरतते हुए एक कोरोना संक्रमित की मौत सदर अस्पताल में होने के बाद उसके शरीर को बिना पीपीई कीट में पैक किए अस्पताल परिसर में रख दिया और बाद में उसी तरह उसे एंबुलेंस से बरमसिया स्थित श्मशान घाट भी भेज दिया। मृतक करीब 40 वर्षीय विजय मोदी जिले के सरिया थाना क्षेत्र के उर्रो गांव का रहनेवाला था। उसका इलाज सदर अस्पताल में किया जा रहा था। इसी क्रम में गंभीर स्थिति होने के बाद रविवार को उसकी मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मृत व्यक्ति के शरीर को बिना पैक किए हुए श्मशान घाट भेज दिया। श्मशानघाट इस तरह बिना पैक किए हुए शव के पहुंचते ही वहां सामाजिक सरोकार व मानवता के नाते समाजसेवा की भावना से मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार करनेवाले युवाओं की टीम भी परेशान हो गई। इसके बाद शव को पैक करने के बाद युवाओं की टीम ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। मृतक कुछ दिनों से कोरोना से संक्रमित होकर राजधनवार में इलाजरत था। वहां उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया था, जहां इलाज के क्रम में मौत हो गई।

- अक्सर ऐसे ही भेजा जाता है शव : इस आपदा की मुश्किल की घड़ी में जब अपने भी शव को जलाने से दूर भाग रहे हैं तो जान जोखिम में डालकर शवों का अंतिम संस्कार करने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रॉकी ने बताया कि अक्सर ही इसी तरह से बिना पैक किए हुए शव को अस्पताल प्रबंधन श्मशान घाट भेज देता है, जिससे इस संक्रमण के दौर में काफी परेशानी होती है। इस संबंध में कई बार सिविल सर्जन को कोरोना से मौत होनेवाले के शव को पैक कर श्मशान घाट भेजवाने की अपील की गई है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है। पैक नहीं करने की स्थिति में सूचना देने पर स्वयं ही पैक करने की जिम्मेदारी भी हम युवाओं की टोली उठा लेती है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से इसमें कोई सहयोग नहीं किया जाता है जो मनोबल को कमजोर कर देता है।

- पूछ रहे मोहल्लेवाले सवाल : रॉकी, नवल व मिथुन समेत उनकी पूरी टीम एक ओर कोरोना से मरनेवालों का अंतिम संस्कार करने में जान जोखिम में डालकर जुटी है। वहीं इस तरह बिना पैक किए हुए शव को श्मशान घाट भेजने से इन युवाओं के साथ बरमसिया श्मशान घाट जाने के रास्ते में पड़नेवाले मोहल्ले के लोग भी परेशान हैं। साथ ही अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ निगम व जिला प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस आपदा में बरती जा रही इस प्रकार की लापरवाही से अगर मोहल्ले के लोगों को कुछ होता है तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी।

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