बेटे का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सका लाचार पिता

लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से घर वापसी के क्रम में गिरिडीह जिले के आधा दर्जन से अधिक प्रवासी मजदूरों की जान चली गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 07:06 PM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 07:06 PM (IST)
बेटे का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सका लाचार पिता
बेटे का अंतिम दर्शन तक नहीं कर सका लाचार पिता

देवरी (गिरिडीह) : कमाने के लिए परदेस गए बेटे की मौत घर से सैकड़ों किमी. दूर रास्ते में ही सड़क दुर्घटना में हो गई, लेकिन गरीबी के कारण बूढ़े मां-बाप अपने इकलौते पुत्र के शव का भी दर्शन नहीं कर सके। पिता ने कलेजे पर पत्थर रख प्रशासन को शव को गांव नहीं लाने और घटनास्थल के आसपास ही उसका अंतिम संस्कार कर देने का अनुरोध किया। मामला भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के गरंग गांव का है।

भेलवाघाटी थाना के गरंग निवासी रसी हेंब्रम के 18 वर्षीय पुत्र विनोद हेंब्रम की शनिवार को छत्तीसगढ़ के दुर्ग राजनाद गांव मार्ग में ट्रक से गिरने के कारण मौत हो गई। गांव में मातम छाया रहा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। मृतक की मां तालो सोरेन एवं पिता ने बताया कि उनका पुत्र मुंबई से ट्रक पर सवार होकर आ रहा था। उसके साथ गांव का निर्मल बास्की भी था। निर्मल ने विनोद के शव को पुराना अर्जुन ढाबा के सामने चटाई पर लिटा दिया और शनिवार शाम को फोन कर दुर्घटना की सूचना दी। उस ढाबे पर निर्मल ने पुलिस का इंतजार भी किया। उसे यकीन था कि पुलिस आकर विनोद का शव गांव भेजने का इंतजाम करेगी। कई घंटे गुजर गए, लेकिन पुलिस नहीं आई। आखिरकार निर्मल भी अपने साथी के शव को छोड़ आगे बढ़ गया। बेटे के शव को पाने के लिए विनोद के पिता रसी हेम्ब्रम ने भेलवाघाटी थाना जाकर दुर्घटना की जानकारी दी। गरीब होने के कारण शव को घर नहीं ला पाने की भी बात कही।

थाना प्रभारी एमजे खान ने बताया कि मृतक के पिता ने थाना में आवेदन दिया है, जिसमें शव को पोस्टमार्टम के बाद वहीं यानी घटना स्थल के क्षेत्र में ही अंतिम संस्कार कर देने की बात कही है, इसलिए शव अब गांव नहीं लाया जाएगा।

पूरा नहीं हो सका गांव में रहकर मजदूरी करने का सपना

मृतक की मां ने बताया कि बिनोद नौ माह पहले कमाने के लिए मुंबई गया था। लॉकडाउन में खाने की दिक्कत होने लगी तो वह गांव लौट रहा था। गरीबी के कारण में आपने बेटे के शव का भी दर्शन नहीं कर पाए। मुंबई से गांव के लिए चलने से पहले विनोद ने फोन पर बात की थी। कहा था कि लॉकडाउन के कारण वह मुंबई में फंस गया। खाने के भी पैसे नहीं थे। शुक्रवार को एक ट्रक पर सवार होकर घर के लिए चला था। कहा था कि अब गांव में ही मेहनत मजदूरी करेगा। बाहर नहीं जाएगा।

परिवार ने की मुआवजे की मांग

बता दें कि विनोद घर का एकलौता कमाऊ सदस्य था। वह पहले भी मजदूरी करने के लिए मुंबई गया था। अब परिवार का गुजर-बसर कैसे चलेगा। परिजनों ने सरकार से उचित मुआवजा की मांग की है।

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लॉकडाउन में चली गई गिरिडीह के छह प्रवासी मजदूरों की जान

गिरिडीह : लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से घर वापसी के क्रम में गिरिडीह जिले के आधा दर्जन से अधिक प्रवासी मजदूरों की जान चली गई है। अधिकतर की मौत सड़क हादसे में हुई है, जबकि कुछ लोगों की मौत बीमारी से हुई है।

मंगलवार की सुबह जमुआ प्रखंड के लताकी गांव के एक प्रवासी मजदूर की सड़क हादसे में रास्ते में मौत हो गई। अपने पिता की मौत की सूचना मिलने के बाद वह दिल्ली से बाइक से अपने घर लौट रहा था। मृत प्रवासी मजदूरों के आश्रितों को मुआवजा के लिए सरकार पर दबाव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यूपी में सड़क हादसे में मृत झारखंड के मजदूरों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। इसका स्वागत करते हुए बगोदर विधायक विनोद सिंह ने गिरिडीह के सभी मृत प्रवासी मजदूरों के आश्रितों को भी चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है। विनोद सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।

सरिया चिचाकी के बोधी महतो की बरेली में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके अलावा सुनील साव कुलगो तथा चौधरीबांध पंचायत के कोडाडीह निवासी झरीलाल यादव की मुम्बई से लौटने के क्रम में मध्य प्रदेश में बीमार पड़ने से मौत हो गई थी। इसी तरह भेलवाघाटी के विनोद हेम्ब्रम की मुंबई से घर लौटने के दौरान रास्ते में ट्रक से गिरने से मौत हो गई थी। विधायक विनोद सिंह ने मुख्यमंत्री से पत्रकारों की भी कोराना दौर मे स्वास्थ्य सुविधा और उनकी बीमा कराने की मांग की है।

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