पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक कर रही दो नन्हीं बेटियां
संवाद सहयोगी गढ़वा संतानों को लेकर एक कहावत लोगों की जुबान पर रहता है।
संवाद सहयोगी, गढ़वा : संतानों को लेकर एक कहावत लोगों की जुबान पर रहता है कि पूत के पांव पालने में ही झलक जाता है। भले ही इसमें अतिश्योक्ति हो, फिर भी बड़ी हद तक यह सच है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर दो नन्हीं बेटियों का जुनून देखकर तो ऐसा ही लगता है। जिले के एक युवा अधिवक्ता आशीष कुमार दूबे अग्निवीर की दो नन्हीं बेटियां कीर्ति व श्रुति का पौधारोपण के प्रति प्रेम अन्य लोगों के लिए भी प्रेरक बन रहा है। बेटियों को पहले से ही अपने पिता से पर्यावरण के महत्व की शिक्षा मिली है। लेकिन इन दिनों पर्यावरण संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे दैनिक जागरण के महाअभियान भी प्रेरक बना है। अखबार में महाअभियान के तहत लोगों द्वारा पौधारोपण किए जाने की खबरों को पढ़कर कीर्ति व श्रुति भी प्रेरित हुई हैं। जूनियर डीपीएस गढ़वा में कीर्ति एवं श्रुति क्रमश: कक्षा प्रथम एवं यूकेजी में पढ़ती हैं। लेकिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनके सोच सयानों जैसे हैं। उन दोनों की बातों से ही इसकी झलक मिलती है। बेटियों की पौधारोपण के प्रति रुचि की चर्चा करते हुए आशीष बताते हैं कि उन्हें युवा सामाजिक कार्यकर्ता नितिन तिवारी एवं डा पातंजलि केशरी ने आम, जामुन, काला शीशम, अमरूद एवं करंज के पौधे दिए थे। पौधारोपण करने के लिए पैतृक गांव दवनकरा, विशुनपुरा जाने लगे तो उनकी बेटियां भी साथ चलकर स्वयं भी पौधे लगाने की जिद की। तब उन दोनों के साथ पैतृक गांव दवनकारा जाकर पौधारोपण किया। नन्हीं बेटियों को पौधारोपण करते देखकर कई लोगों ने सराहना की। -पर्यावरण की रक्षा करना सबका दायित्व: बेटियां बताती हैं कि पर्यावरण की रक्षा करना सबका दायित्व है। इसके लिए हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम पांच पौधे अवश्य लगाना चाहिए। साथ ही अपने सगे संबंधियों एवं परिचित लोगों को भी वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना चाहिए। जिससे हमारी आगे की पीढ़ी स्वस्थ रहे और पूरे विश्व को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सके।