बड़गड़ में मजदूर की जगह मशीन से हो रहा मनरेगा योजना में काम
संवाद सूत्र बड़गड़ (गढ़वा) कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में एक ओर जहां स्थानीय मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है।
संवाद सूत्र, बड़गड़ (गढ़वा): कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में एक ओर जहां स्थानीय मजदूरों एवं प्रवासी मजदूरों के हितों को ध्यान में रखकर प्रखंड के सभी पंचायतों में बड़े पैमाने पर सरकार द्वारा मनरेगा कानून के तहत मिट्टी मोरम पथ निर्माण सहित अन्य योजनाएं चलाई जा रही है। ताकि यहां के कोरोना काल के संकट से जूझ रहे मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक संकट से उबारा जा सके। लेकिन इसके उलट राजनीतिक रसूखदारों द्वारा पदाधिकारियों एवं मनरेगा कर्मियों से मजबूत पैठ कि बदौलत बड़े पैमाने पर बिचौलिया किस्म के लोग मनरेगा के तहत संचालित हो रही दर्जनभर से अधिक मिट्टी मोरम पथ निर्माण योजनाओं में खुलेआम जेसीबी मशीन से कार्य कराकर सरकारी खजाने की बंदरबांट की पूरी तैयारी कर रखी है।
केस स्टडी -1
परसवार पंचायत के दीपाटोली में धूंध बांध से दीपाटोली मिट्टी मोरम पथ निर्माण योजना के कार्य स्थल पर 31 मई से 2 जून तक दैनिक जागरण के प्रतिनिधि द्वारा लगातार जाकर पड़ताल किया गया। जहां एक भी मजदूर कार्य करते नहीं देखे गये। जबकि उक्त योजना में मजदूरों के नाम पर एम आर संख्या 1877 के मुताबिक 21 मई से तीन जून तक बारह मजदूरों को डीमांड के तहत कार्य करते दिखाया गया है। वहीं किये गये उक्त पड़ताल में एक भी मजदूर योजना स्थल पर कार्य करते नहीं देखे गये। इधर उक्त योजना में एम आर संख्या 517 के तहत 24300 रूपये, एम आर संख्या 518 के मुताबिक 10800 रूपये, एम आर संख्या 1438 के अनुसार 27000 रुपये तथा एम आर संख्या 1439 के तहत कुल 5400 रूपये की निकासी कर ली गई है। इस तरह कुल 67500 रूपये का भुगतान मजदूरों के नाम पर ले लिया गया है। दीपाटोली के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि इस सड़क निर्माण कार्य में करीब एक माह पूर्व ही ट्रैक्टर एवं जेसीबी द्वारा मिट्टी मोरम की भरावट की गई है। खानापूर्ति के लिए मात्र दो दीन मजदूरों को लगाकर मिट्टी को बिछाने का कार्य कराया गया है। केश स्टडी -2
परसवार के सेमरखांड़ मुख्य पथ से सेमरखांड़ स्कूल तक निर्माणाधिन मिट्टी मोरम पथ में में भी तीन दिनों तक पड़ताल की गई वहां भी मजदूरों को योजना स्थल पर कार्य करते हुए नहीं पाया गया। जबकि एम आर संख्या 1880 के अनुसार पांच मजदूरों को 21 मई से 3 जून तक कार्य करते दिखाया गया है। अभी तक उक्त योजना में मजदूरों के नाम पर 81000 रुपये की निकासी कर ली गई है। उक्त योजना में भी ग्रामीणों के अनुसार मजदूरों के जगह मशीन से काम कराये जानें की बात सामने आई है। पड़ताल के दौरान उक्त दोनों योजनाओं में योजना स्थल पर योजना से संबंधित शिलालेख भी नहीं लगाया गया है। पक्ष
उक्त योजनाओं में अगर मजदूर कार्य नहीं कर रहे हैं तो भुगतना शून्य होगा। जहां तक कार्य में मशीन के प्रयोग की बात है तो यह जांच का विषय है।
विपिन कुमार भारती, बीडीओ, बड़गड़।