प्रमोद सोनी बच्चों को बना रहे सुर ताल में माहिर
संदीप केसरी शौर्य गढ़वा शहर के टंडवा मोहल्ला निवासी प्रमोद सोनी बच्चों को सुरताल में माहिर बना रहे हैं।
संदीप केसरी शौर्य गढ़वा : शहर के टंडवा मोहल्ला निवासी प्रमोद सोनी बच्चों को सुरताल में माहिर बना रहे हैं। उनके दिशा निर्देशन में गढ़वा के छात्र छात्रा संगीत के गुर सीख रहे हैं। उनके निर्देशन में अभी तक 2000 बच्चे संगीत की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं. जिनमें से तीन दर्जन संगीत शिक्षक बनकर लोगों को वर्तमान में संगीत की कला सिखा रहे हैं. प्रमोद द्वारा गढ़वा में संगीत कला महाविद्यालय चलाया जा रहा है । इनके द्वारा इसके माध्यम से बच्चों को संगीत की शिक्षा दी जा रही है। इनके इस कार्य को देखते हुए कई बार इन्हें सम्मानित भी किया गया है। प्रमोद सोनी के अनुसार उन्होंने संगीत का सफर 8 साल के उम्र से शुरू किया। मेरे संगीत के पहले गुरु मेरे पिता जी थे । जो माउथ ऑर्गन बहुत अच्छा बजाते थे । संगीत में मेरा रुझान देख कर उस दौर में पिता जी ने बैंजो लेकर दिया। बैंजो में निपुणता प्राप्त करने के बाद ऑर्गन बजाना शुरू किया। इस तरह ऑर्गन प्लेयर के रूप अपना पहचान बनाया और ऑर्केस्ट्रा करते हुए अपने झारखंड राज्य के अलावा दूसरे राज्य में भी ख्याति प्राप्त किया। 1995 में एसआईएस बेलचम्पा में म्यूजिक टीचर के रूप सर्विस किया। उसी दौरान हिदुस्तान के हर बड़े शहरों में जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र, पुणे, बेंगलुरू व आगरा इत्यादि जगहों पर परफॉर्म किया और हर जगह ख्याति प्राप्त की। ऑर्केस्ट्रा में संगीत के गिरते स्तर से निराश होकर भाव संगीत से रुख परिवर्तन करके अपना सारा ध्यान क्लासिकल संगीत में लगा दिया। फिर एसआईएस से नौकरी छोड़ कर शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा लेने के लिए इलाहाबाद में 2 साल पंडित जगनारायण जी से शिक्षा ग्रहण किया और संगीत समिति इलाहाबाद से भास्कर की डिग्री प्राप्त किया। इसके बाद गढ़वा में ज्ञान निकेतन कॉन्वेंट स्कूल के डायरेक्टर मदन प्रसाद केशरी और महुवा सेन गुप्ता के सहयोग से वर्ष 2003 में संगीत कला महाविद्यालय की स्थापना किया। प्रारम्भ में 4 बच्चों को लेकर संगीत की शिक्षा देना शुरू किया धीरे धीरे संख्या बढ़ते बढ़ते आज लगभग 400 सौ छात्र छात्राएं गढ़वा जिला के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़ व उत्तरप्रदेश से संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आते है। अभी तक लगभग 3000 बच्चों को संगीत में पारंगत किया। संगीत कला महाविद्यालय के स्थापना करते समय ही एक संकल्प लिए थे कि वैसे छात्र छात्राएं जो निर्धन गरीब हैं उनको निशुल्क संगीत के शिक्षा देंगे। वहीं संकल्प आज तक कायम है । मैंने अपना जीवन संगीत के प्रचार प्रसार में लगा दिया आज बहुत सुकून मिलता है। लगभग 2000 हजार शिष्य अपने अपने गांव शहर जिला राज्य देश संगीत के परचम लहरा रहे है। यहाँ से संगीत की शिक्षा और संगीत डिग्री प्राप्त करके लगभग 30 छात्र छात्राएं सरकारी और प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके बच्चों को संगीत की शिक्षा देकर अपना जीविका पालन कर रहे है।