नवजात शिशु मृत्यु की रोकथाम के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को दी गई जवाबदेही

सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में मंगलवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 06:12 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 06:12 PM (IST)
नवजात शिशु मृत्यु की रोकथाम के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को दी गई जवाबदेही
नवजात शिशु मृत्यु की रोकथाम के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को दी गई जवाबदेही

गढ़वा : सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में मंगलवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा प्रभारी शामिल हुए। बताते चलें कि राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह 2019 के तहत जिले में 15 से 21 नवंबर तक विशेष कार्यक्रम चल रहा है। मौके पर उपस्थित सिविल सर्जन डॉ. एनके रजक ने कहा कि समुचित देखभाल के अभाव में नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। देश स्तर पर नवजात शिशुओं की मृत्यु दर 33 प्रति एक हजार तथा झारखंड में 29 प्रति एक हजार है। सीएस ने कहा कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए इस कार्यक्रम की सही मॉनिटरिग आवश्यक है। साथ ही नवजात शिशु मृत्यु की रोकथाम के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को जवाबदेही दी गई। कार्यशाला में यूनीसेफ के क्षेत्रीय समन्वयक मनीष प्रियदर्शी ने कहा कि शिशुओं की मृत्यु पांच वर्ष की उम्र तक न्यूमोनिया, डायरिया, पेटदर्द आदि कारणों से अधिक होती है। जानकारी के अभाव में शिशुओं की समग्र देखभाल नहीं हो पाती है। प्रखंड स्तर पर लोगों को दक्ष करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई है। चिकित्सा प्रभारी नवजात शिशुओं के समग्र देखभाल के लिए सहिया विजिट को सुनिश्चित कराएंगे। इस कार्यक्रम को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है। कार्यशाला में संध्या टोपनो, चिकित्सा प्रभारी डॉ. कमलेश कुमार, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. दीपक सिन्हा, डॉ. सुचित्रा समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे।

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