जल संचय को लेकर अधौरी में 27 एकड़ में बना 8 तालाब
टाप बाक्स लोगो के साथ बरसात का एक-एक बूंद संरक्षित करने को ग्रामीण हैं जागरूक इन ताला
टाप बाक्स
लोगो के साथ
बरसात का एक-एक बूंद संरक्षित करने को ग्रामीण हैं जागरूक, इन तालाबों से खेती करते हैं किसान
फोटो-4- श्री बंशीधर नगर के अधौरी गांव स्थित लोहराहा तालाब में संरक्षित वर्षा जल:
रजनीश मंगलम
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):- प्रखंड के अधौरी गांव के लोग वर्षा जल को संरक्षित करने के मामले में काफी जागरूक हैं। गांव के लोग पानी के महत्व को दशकों पूर्व से अच्छी तरह से भली-भांति जानते हैं। इस गांव में वर्षा जल संग्रहण करने के लिए करीब 27 एकड़ भूमि पर छोटा-बड़ा 8 तालाब बना हुआ है। इन तालाबों में गांव की भूमि पर वर्षा जल के साथ-साथ जंगल-पहाड़ का भी काफी मात्रा में पानी आकर संरक्षित होता है। गांव के दक्षिण में बना गड़ई तालाब व गांव के बीचो-बीच लोहराहा तालाब में आज भी 4 से 5 फीट तक बरसात का पानी संरक्षित है। तालाब में वर्षा जल संरक्षित रहने से गांव के चापाकल व कुआं में जल स्तर यथावत बना हुआ है। जल स्तर ऊपर रहने के साथ-साथ तालाब के पानी से गांव की एक-एक इंच भूमि भी सिचित होती है। अगहनी व रबी फसल के साथ-साथ गरमा फसल व सब्जी भी तालाब के पानी से सिचित कर ग्रामीण उपजाते हैं। गांव के पृथ्वी नाथ तिवारी, अरुण तिवारी, गोपाल तिवारी आदि ने बताया कि गांव के दक्षिण में 10 एकड़ भूमि पर गड़ई तालाब बना हुआ है। इस तालाब में वर्तमान में भी 3 से 4 फीट तक पानी भरा हुआ है। गांव के बीचो-बीच करीब 7 एकड़ भूमि पर लोहराहा तालाब सौ वर्ष पूर्व ही बना हुआ है। इस तालाब में भी करीब 5 फीट पानी भरा हुआ है। साथ ही 2 एकड़ भूमि में चमरही तालाब, 3 एकड़ भूमि में बैरिया तालाब, 3 एकड़ भूमि में करमही तालाब, 2 एकड़ भूमि में अलगवा तालाब व 100 गुणा 100 का चिकनी तालाब बना हुआ है। गड़ई तालाब बरसात के दिनों में जब भर जाता है, तब जंगल-पहाड़ में बरसा पानी लोहराहा तालाब में आकर संरक्षित होता है। लोहराहा भर जाने के बाद अन्य सभी तालाबों में बरसात का पानी जाकर संरक्षित होता है। बरसात का एक-एक बूंद पानी इन सभी तालाबों में आकर संरक्षित हो इसके लिए प्रतिवर्ष ग्रामीण व्यवस्था बनाते हैं। ताकि पानी अन्यत्र बहकर बर्बाद ना हो। समय-समय पर सभी तालाबों का मरम्मती का कार्य होते रहता है। तालाब के बांध का मिट्टी का क्षरण ना हो इसके लिए बांध पर पेड़ पौधे भी लगाए गए हैं। वर्षा जल को संरक्षित करना ग्रामीण अपना धर्म व कर्म समझते हैं। पृथ्वी नाथ तिवारी ने कहा कि आज पूरी दुनिया में जल संकट गहराते जा रहा है। इस स्थिति में दुनिया भर के विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षा जल का एक-एक बूंद संरक्षित कर ही जल संकट को डाला जा सकता है। पानी की बर्बादी रोककर एक-एक बूंद वर्षा जल का संरक्षण प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए। सकेगा।