वर्षा जल संरक्षण को पुरैनी में बना है 52 बीघा में तालाब

संवाद सूत्र श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) पुरैनी गांव में वर्षा जल संरक्षण के लिए सौ वर्ष से भी अधिक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:39 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 06:39 PM (IST)
वर्षा जल संरक्षण को पुरैनी में बना है 52 बीघा में तालाब
वर्षा जल संरक्षण को पुरैनी में बना है 52 बीघा में तालाब

संवाद सूत्र, श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) : पुरैनी गांव में वर्षा जल संरक्षण के लिए सौ वर्ष से भी अधिक पहले करीब 52 बीघा भूमि में बना एक बहुत बड़ा तालाब है। आज भी इस तालाब में पानी संरक्षित है। पुरैनी गांव में वर्षा जल संग्रहित करने का सौ वर्ष पूर्व ही माकूल व्यवस्था की गई थी। बताया जाता है कि यह तालाब नगर गढ़ के तत्कालीन राजा भैया दीरगज प्रताप देव द्वारा जमींदारी प्रथा में बनवाया गया था। तालाब के बांध पर बहुत बड़ा विशालकाय बरगद का एक पेड़ था। जहां नगर गढ़ की रानियां पालकी से प्रतिवर्ष बट सावित्री व्रत की पूजन करने जाती थीं। विशालकाय बरगद का पेड़ गिर जाने के बाद दोबारा बरगद का पेड़ बांध पर लगाया गया है। तालाब के बांध के मिट्टी का क्षरण ना हो इस लिहाज से बांध पर पेड़ पौधे भी लगाए गए हैं। इस तालाब में सैकड़ों एकड़ भूमि पर वर्षा जल बांकी नदी के कैनाल के माध्यम से आकर संग्रहित होता था। तालाब में पानी संरक्षित रहने से पुरैनी सहित आसपास के इलाकों में जल स्तर यथावत बना रहता है। साथ ही सौ एकड़ से अधिक भूमि सिचित होती है। इस तालाब से धान और गेहूं दोनों फसलों की सिचाई ग्रामीणों द्वारा की जाती है। इस बड़े तालाब में मछली पालन के लिए भी अलग से छोटा-छोटा तालाब बना हुआ है। बताया जाता है कि वर्षा जल के साथ-साथ बांकी नदी का भी पानी लाकर इस तालाब में संग्रहित किया जाता था। इसके लिए नगर गढ़ की ओर से कैनाल खुदवाया गया था। कैनाल के माध्यम से पानी इस तालाब में आकर संरक्षित होता था। पर आज उस कैनाल का नामोनिशान मिट गया है। बावजूद बरसात के दिनों में सैकड़ों एकड़ भूमि पर वर्षा जल इस तालाब में आकर संरक्षित होता है। ग्रामीण बताते हैं कि पहले इस तालाब का जल भीषण गर्मी में भी नहीं सूखता था। पर इधर कुछ वर्षों से मई जून माह में तालाब का पानी करीब-करीब सूख जाता है। तालाब का पानी सूखने का मुख्य कारण तालाब की उड़ाही नहीं होना बताया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि वर्षा जल के साथ-साथ काफी मात्रा में मिट्टी आकर प्रतिवर्ष तालाब में भर रहा है। जिसके कारण तालाब की गहराई प्रतिवर्ष कम होती जा रही है।

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