आस्था का केंद्र है मांडर महारानी मंदिर

बाटम 12 गांवों के लोग यहां हर शुभ कार्य की शुरुआत पूजा-अर्चना करते हैं सबकी है अटूट आस्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 08:08 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 08:08 PM (IST)
आस्था का केंद्र है मांडर महारानी मंदिर
आस्था का केंद्र है मांडर महारानी मंदिर

बाटम

12 गांवों के लोग यहां हर शुभ कार्य की शुरुआत पूजा-अर्चना करते हैं, सबकी है अटूट आस्था

रजनीश कुमार मंगलम, श्री बंशीधर नगर (गढ़वा): प्रखंड मुख्यालय भवनाथपुर से तकरीबन 4 किलोमीटर उत्तर अधौरा गांव का करतल पीठ महाशक्ति मांडर महारानी मंदिर आसपास के 12 गांवों के ग्रामीणों के लिए दशकों पूर्व से आस्था, श्रद्धा व विश्वास का केंद्र है। अधौरा गांव सहित मंदिर के आस-पास के गांव चपरी, सरइया, पंडरिया, सिघीताली, बेलपहाड़ी, गरदा, धनी मंडरा, कोन मंडरा, गुड़गांवा, घाघरा व करमाही गांव के लोग हर शुभ कार्य व पर्व त्यौहार का शुभारंभ मंदिर में दर्शन पूजन के बाद ही प्रारंभ करते हैं। मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा कब की है। इसकी जानकारी किसी को नहीं है। जिससे भी पूछिए वह यही कहता है कि यह प्रतिमा कई सौ वर्ष पुरानी है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष महेंद्र पासवान ने बताया कि किवदंती है कि माता सती का दाहिना पंजा अधौरा गांव में पचपेड़ी महुआ के पास गिरा था। इसके बाद स्वत: वहां माता के तीनों रूप महा काली, महा सरस्वती व महा लक्ष्मी की प्रतिमा महुआ के पेड़ के पास पाया गया था। तत्कालीन बैगा नंदलाल सिंह खरवार के द्वारा पचपेड़ी महुआ के पास ही देवी मां की पूजा-अर्चना की। एक समय केतार देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित मेला से वापस जाते समय सरगुजा छत्तीसगढ़ के कुछ व्यापारी रात में माता की प्रतिमा चुरा कर ले जा रहे थे। पर करीब आधा किलोमीटर दक्षिण में गांव के सीमा पर उक्त व्यापारी अंधे हो गए। पूरी रात वहीं पर बैठे रहे सुबह होने पर लोग देखे तब व्यापारियों ने कहा कि हम लोग मां की प्रतिमा चुरा कर ले जा रहे थे। तभी ²ष्टि चली गई, हम सभी अंधे हो गए हैं। गलती स्वीकार करने पर बैगा नंदलाल सिंह खरवार ने मां की पूजा-अर्चना कराकर व्यापारियों के आंखों की रोशनी मां से वापस कराया तब व्यापारी अपने घर गए। वहीं पर मां की प्रतिमा रख पूजा शुरू की। घाघरा के जमींदार जय मंगल साह ने मां के समक्ष मन्नत मांगा की मुझे पुत्र होगा तब मंदिर बनाएंगे। जय मंगल को पुत्र हुआ पर मंदिर ना बनवाकर एक चबूतरा बनवाए। करीब 40 वर्ष पूर्व चपरी गांव के चंद्रदेव मणि साह, सरइया के चंद्रदीप साव व अधौरा के धनराज सिंह खरवार आदि ने एक छोटा सा मंदिर बनवाया। वर्तमान में जन सहयोग से महाराष्ट्र के कारीगर से गुणा महाराष्ट्र के जगदंबा मंदिर के तर्ज पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है।

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