हर घर में लक्ष्मी, सरस्वती व काली होती हैं : सुरेश शास्त्री
आनंद छवि घनश्यामा बोलो जय सीया रामा.. आनंद छवि घनश्यामा बोलो जय सीया रामा.. आनंद छवि घनश्यामा बोलो जय सीया रामा..
रंका: रमकंडा प्रखंड में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को मां भगवती का प्राण प्रतिष्ठा, यज्ञ की पुर्णाहुति एवं भंडारे का आयोजन किया गया। इससे पूर्व सुरेश शास्त्री ने सोमवार की रात प्रवचन सुनाते हुए कहा कि मां भगवती को अलग-अलग भोग प्रिय है। अड़हुल फूल, चुनरी तथा नारियल मां भगवती को अतिप्रिय है। कहा कि मां अपना आसन नीम के पेड़ के नीचे लगाती हैं। सुरेश शास्त्री ने कहा कि हर घर में सरस्वती, लक्ष्मी तथा काली होती हैं। जब मां अपने बच्चे को स्कूल भेजती है तो मां सरस्वती होती है। वहीं जब मां अपने बच्चो को पैसा देती है तब मां का रूप लक्ष्मी का होता है तथा जब मां अपने बेटे को उसकी गलती पर डांटती है तो उस समय मां का स्वरूप में काली दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि रामायण कहता है कि नित्य माता-पिता और गुरु को प्रणाम करना चाहिए। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस बात के पुष्टि करते हुए रामायण में उल्लेख किया है कि प्रातकाल उठके रघुनाथा, मात-पिता गुरु नावहीं माथा। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने कृत्यों को हम सभी को अपने जीवन मे उतरना चाहिए। प्रवचन के दौरान संगीतमय भजन आनंद छवि घनश्यामा, बोलो जय सीया रामा.. को सुनकर उपस्थित श्रोता झुमने को मजबूर हो गए।