वर्ष 1990 में हुई थी जय भवानी संघ की स्थापना

गढ़वा जय भवानी संघ की स्थापना वर्ष 1990 में की गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:30 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:09 AM (IST)
वर्ष 1990 में हुई थी जय भवानी संघ की स्थापना
वर्ष 1990 में हुई थी जय भवानी संघ की स्थापना

रजनीश कुमार , गढ़वा :

जय भवानी संघ की स्थापना वर्ष 1990 में की गई थी। जय भवानी संघ के स्थापना काल से आज तक प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर दुर्गा मां की प्रतिमा रखकर पूजा अर्चना किया जाता है। दुर्गा पूजा के अवसर पर जय भवानी संघ द्वारा एक से बढ़कर एक पंडाल का निर्माण किया जाता है। जय भवानी संघ का पंडाल देखने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों की भीड़ उमड़ी है। जय भवानी संघ द्वारा जिले में कही भी ऐसा पंडाल का निर्माण नहीं किया जाता है। पंडाल निर्माण के लिए बाहर से कारीगर को बुलाया जाता है। पंडाल निर्माण का कार्य दो माह से किया जाता था। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण छोटा सा पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। इसकी जानकारी देते हुए जय भवानी संघ के संयोजक मुरली श्याम सोनी ने बताया कि इस कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष छोटा सा पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। इस वर्ष उतराखंड के केदारनाथ मंदिर के प्रारूप का पंडाल तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में शक्तिपीठ हिगलाज माता मंदिर के प्रारूप का पंडाल बनाया गया था। जबकि वर्ष 2018 में मंशुर के दुर्गा मंदिर के प्रारूप का पंडाल बनाया गया था। उन्होंने कहा कि जब से जय भवानी संघ का स्थापना की गई है तब से दुर्गा पूजा के अवसर पर भव्य पंडाल के साथ- साथ मां दुर्गा जी का प्रतिमा भी रखी जाती है। वर्ष 1990 में मुरली श्याम सोनी के नेतृत्व में जय भवानी संघ का गठन किय गया था। इस कमिटी में विभिन्न मोहल्ला के लोगों को सदस्य बनाया गया था। जय भवानी संघ के पहला अध्यक्ष केदारनाथ कश्यप को बनाया गया था। जबकि दिलीप कुमार कश्यप को सचिव, जीवन चंद आजाद को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा मनाने को लेकर प्रत्येक वर्ष पूजा कमिटी का गठन किया जाता है। पूजा को सफल बनाने में संघत मोहल्ला के अलावे शहर के सभी लोगों का भरपुर सहयोग मिलता है। सभी के सहयोग से पूजा सफल होता है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर जय भवानी संघ द्वारा मां दुर्गा जी का पूजा अर्चना किया जाता है उस स्थान पर पिछले कई दुर्गा जी का प्रतिमा रखकर पूजा अर्चना किया जाता था। उन्होंने कि कि वर्ष 1941 में स्वर्गी बैजू साव, शिवनाथ साव रामदास माली, लक्ष्मण साव द्वारा इसी जगह पर पूजा किया जाता था। बुर्जुगो के समय दुर्गा पूजा के समय एकम से लेकर नवमी तक रामायण का मंचन किया जाता था। रामायण मंचन के साथ- साथ ड्रामा भी प्रस्तुत किया जाता था।

chat bot
आपका साथी