विलक्षण व अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे बाबा साहब:

संवाद सूत्र श्री बंशीधर नगर (गढ़वा)- भाजपा नेताओं ने बुधवार को बंशीधर मंदिर के निकट जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:49 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:49 PM (IST)
विलक्षण व अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे बाबा साहब:
विलक्षण व अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे बाबा साहब:

संवाद सूत्र, श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):- भाजपा नेताओं ने बुधवार को बंशीधर मंदिर के निकट डा. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थल पर जयंती समारोह का आयोजन किया। उपस्थित नेताओं ने बाबा साहब के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके बताए मार्गों पर चलने का संकल्प दोहराया। जिला उपाध्यक्ष विकास स्वदेशी ने कहा कि डॉ आंबेडकर विलक्षण एवं अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे। बाबा साहेब के नाम से दुनिया भर में लोकप्रिय डॉ भीमराव आंबेडकर समाज सुधारक, दलित राजनेता, महामनीषी, क्रांतिकारी योद्धा, लोकनायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्ति होने के साथ ही विश्व स्तर के विधिवेता व भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, ²ढ़ता, प्रचंड संग्रामी स्वभाव का मणिकांचन मेल था। वे अनन्य कोटि के नेता थे। अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण-कामना, संतुलित समाज रचना में उत्सर्ग कर दिया। खासकर भारत के 80 प्रतिशत दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ आंबेडकर का जीवन संकल्प था। वे भारतीय राजनीति की एक दूरी की तरह थे। जो आज दुनिया भर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दलित मसीहा एवं संतुलित समाज संरचना के प्रेरक महामानव हैं। नगर मंडल अध्यक्ष कुमार कनिष्क ने बाबा साहब के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में एक गरीब परिवार में हुआ था। भीमराव आंबेडकर रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की चौदहवीं संतान थे। उनका परिवार मराठी था, जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित अंबावडे नगर से संबंधित था। उनके बचपन का नाम रामजी सकपाल था। संघर्ष एवं कष्टों की आग में तपकर उन्होंने न केवल स्वयं का विकास किया, वरन भारत के समग्र विकास का वातावरण निर्मित किया। वे नई मानव सभ्यता व संस्कृति के प्रेरक एवं पोषक थे। वे हमारे युग के महानतम नायक थे। उनके क्रियाकलापों में किचित मात्र भी स्वार्थ नहीं था। हम सबों को उनके बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। मौके पर अशोक सेठ, नंदकिशोर प्रसाद सहित कई लोग उपस्थित थे।

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