नवान्न पर भोलेनाथ को लगा दही-चूड़ा का भोग

लोक संस्कृति व प्रकृति से जुड़े पर्व नवान्न पर गुरुवार को बासुकीनाथ मंदिर प्रबंधन व पंडा पुरोहित समाज के सदस्यों ने भोलेनाथ को दही चूड़ा गुड़ मूली घंघरा केला का भोग लगाया। बासुकीनाथ मंदिर के पुजारी दिनेश झा पुरोहित प्रेमशंकर झा की अगुवाई में यह पूजन कार्यक्रम आयोजित हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 08:02 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 08:02 PM (IST)
नवान्न पर भोलेनाथ को लगा दही-चूड़ा का भोग
नवान्न पर भोलेनाथ को लगा दही-चूड़ा का भोग

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ (दुमका): लोक संस्कृति व प्रकृति से जुड़े पर्व नवान्न पर गुरुवार को बासुकीनाथ मंदिर प्रबंधन व पंडा पुरोहित समाज के सदस्यों ने भोलेनाथ को दही, चूड़ा, गुड़, मूली, घंघरा, केला का भोग लगाया। बासुकीनाथ मंदिर के पुजारी दिनेश झा, पुरोहित प्रेमशंकर झा की अगुवाई में यह पूजन कार्यक्रम आयोजित हुआ।

पुजारी दिनेश झा, पुरोहित प्रेमशंकर झा ने विधिवत पूजनोपरांत भोलेनाथ को भोग लगाने के उपरांत बाबा मंदिर व पार्वती मंदिर के सामने अग्निकुंड (अग्निहार) स्थापित करवा के उसमें नूतन फसल धान, चूड़ा, अरवा चावल, दही, हरी सब्जी, मटर, घंघरा सहित अन्य चीजों से निर्मित सांकल का भोग अग्निकुंड में समर्पित किया। इसके अलावा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में अग्निकुंड (अग्निहार) में हवन कर लेने के उपरांत नवान्न प्रासन्न को नवान्न भोग लगाकर नूतन फसल का प्रयोग प्रारंभ कर दिया। वहीं वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बासुकीनाथ, जरमुंडी, जामा, हंसडीहा, रामगढ़, सरैयाहाट, दुमका, सहारा, तालझारी, हरिपुर, नोनीहाट, रायकिनारी सहित आसपास के सैकड़ों गांव में भी नेम निष्ठा व परंपरा के साथ नवान्न पर्व मनाया गया।

इस मौके पर बासुकीनाथ मंदिर के पुरोहित राजेश झा, कुणाल झा, दिवाकर झा, मनोज पंडा घोघन, कपिल पंडा, योगेश पंडा, शोभाराम पंडा, काजल पांडेय, मोहित झा, पार्वती मंदिर के पुजारी मुकेश झा, बासुकीनाथ पंडा पुरोहित समाज के दर्जनों सदस्य सहित विधिकर शौखी कुंवर, फुलेश्वर, नरेश राव, टेस्का राव, केशव राव, मंदिरकर्मी मदन झा, सुभाष राव,मंदिर गार्ड कपिलदेव पंडा, गुड्डू ठाकुर, गौतम राव, उदय मंडल,मंदिर नाई गणेश ठाकुर सहित अन्य मौजूद थे।

वहीं दूसरी ओर प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने भी भोलेनाथ को नूतन फसल एवं अनाज अर्पित किया। इसके बाद ग्रामीण अपने घरों में सांकल का भोग लगाकर दही, चूड़ा एवं नए आलू-गोभी, टमाटर से बनी सब्जी का छककर आनंद उठाया।

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