सहेज लो हर बूंद: कभी नहीं सूखता अंग्रेजों के जमाने का यह तालाब

जामा प्रखंड के आसनसोल कुरूवा पंचायत के दुधानी गांव में साढ़े पांच एकड़ क्षेत्र में फैला तालाब अंग्रेजों के जमाने का है। हाल के दिनों में इसमें जीर्णोद्धार का कार्य नहीं होने के बाद भी तालाब में सालों भर पानी जमा रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:38 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:38 PM (IST)
सहेज लो हर बूंद: कभी नहीं सूखता अंग्रेजों के जमाने का यह तालाब
सहेज लो हर बूंद: कभी नहीं सूखता अंग्रेजों के जमाने का यह तालाब

संवाद सहयोगी, जामा: जामा प्रखंड के आसनसोल कुरूवा पंचायत के दुधानी गांव में साढ़े पांच एकड़ क्षेत्र में फैला तालाब अंग्रेजों के जमाने का है। हाल के दिनों में इसमें जीर्णोद्धार का कार्य नहीं होने के बाद भी तालाब में सालों भर पानी जमा रहता है।

दुधानी गांव के पूर्वजों ने सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से मजबूती के लिए इस तालाब का निर्माण निजी पैसे से कराया था। उस समय इतने बड़े तालाब समृद्धि की निशानी हुआ करते थे। खास बात है कि तालाब का निर्माण गांव के मंदिर के सामने हुआ। हर कोई यहां स्नान करने के बाद पूजा करते हैं। निर्माण काल के समय 10 कोस से लोग तालाब में नहाने के लिए आते थे।

तालाब की उपयोगिता को देखते हुए सरकार ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया। अब मत्स्य विभाग इसमें मछली पालन कराता है। राधेश्याम खिरहर के नेतृत्व में कई किसान मछली पालन से हर साल अच्छा कमाते हैं। राधेश्याम प्रखंड के कई तालाब की देखरेख करते हैं। करीब 8-10 गांव के लोग नहाने, मवेशी धोने के अलावा सिचाई के लिए पानी का उपयोग करते हैं। ग्रामीणों की माने तो पूर्वजों की इस धरोहर को सब मिलकर बचा रहे हैं। हर साल बारिश में जो पानी एकत्र होता है, वह खत्म नहीं होता है। -------------------

गांव के पूर्वज दूरदर्शी थे जल संरक्षण की दृष्टि से ही तालाब का निर्माण कराया था। वर्षा जल को सहेजने के कारण तालाब में वर्ष भर पानी जमा रहने से कुआं व चापाकल का जलस्तर कम नहीं होता है। जीर्णोद्धार की अत्यंत आवश्यकता है।

साबू भंडारी

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---------- तालाब के कारण गांव में कभी अकाल नही पड़ा। सिचाई के साथ साथ मछली पालन होता है। मछली से कई किसान आज प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्म निर्भर बने हैं।

राधेश्याम खिरहर

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-------- पिछले दो वर्षो से इस तालाब के पानी से पर्यावरण संरक्षण का काम शुरू किया। दो एकड़ भूमि में आम का बगीचा लगाया। दो हजार से ज्यादा सागवान के भी पौधे लगाए, जो आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन के लिए संजीवनी का काम करेंगे।

रामू पुजहर

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