मैला आंचल से मिलती समाज को सीख

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ बासुकीनाथ धाम स्थित सोना विवाह भवन में गुरुवार को हिदी साहित्य के प

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 11:43 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 11:43 PM (IST)
मैला आंचल से मिलती समाज को सीख
मैला आंचल से मिलती समाज को सीख

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ : बासुकीनाथ धाम स्थित सोना विवाह भवन में गुरुवार को हिदी साहित्य के प्रख्यात कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया। मुख्य अतिथि सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ.सोना झरिया मिज ने इसका शुभारंभ किया। कुलपति ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु एक संवेदनशील कथाकार थे। उनकी रचित उपन्यास मैला आंचल समाज को एक नई सीख देती है। इनके कुछ संस्मरण भी प्रसिद्ध हुए है, इनमें ऋतु कुल धन जल, वन तुलसी की गंधी, प्रमुख हैं। रेणु दिनमान में रिपोर्ताज भी लिखते थे। नेपाली क्रांति कथा उनके रिपोर्ताज का उत्तम उदाहरण है। पटेल सेवा संघ दुमका के अध्यक्ष अशोक कुमार राउत एवं पटेल सेवा संघ बासुकीनाथ के अध्यक्ष विश्वम्भर राव के अध्यक्षता में समारोह हुआ। कुलपति डॉ मिज ने कहा कि मैला अंचल का महत्व केवल एक आंचलिक उपन्यास होने तक ही सीमित नहीं है। फणीश्वरनाथ रेणु के व्यक्तित्व का विकास केवल सृजनात्मक लेखक के रूप में ही नहीं एक सजग, सक्रिय नागरिक एवं देशभक्त के रूप में भी हुआ। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी कर उन्होंने एक स्वाधीनता सेनानी के रूप में पहचान अपने यौवनकाल में ही बनाई। स्वाधीनता की इस चेतना के साथ प्रथम आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु दमन एवं शोषण के आजीवन विरोधी रहे। डॉ. संजय कुमार राव ने कहा कि रेणु संवेदनशीलता के प्रतीक हैं। उनकी रचनाओं में काफी संवेदनशीलता दिखती है। प्रो. रामवरण चौधरी ने कहा कि प्रेमचंद गंगा की धारा तो रेणु कोसी की गहराई हैं। दुमका नगर परिषद की पूर्व अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि रेणु की कविता और कहानी में स्त्री सशक्तिकरण की झलक मिलती है।मुंबई से आए शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि रेणु की प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास मैला आंचल हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। कवि जहान भारती अशोक ने कहा कि मैला आंचल न सिर्फ आंचलिक उपन्यास है बल्कि तत्कालीन कुव्यवस्था का दस्तावेज है। डॉ सपन कुमार ने कहा कि साहित्य समाज का आइना होता है। प्रो.मनोज कुमार मिश्रा ने कहा कि रेणु की लेखनी से काफी प्रभावित हैं। समारोह को अरुण कुमार सिन्हा, बसंत गुप्ता, शंभूनाथ मिस्त्री, मनोज कुमार घोष, अमरेंद्र सुमन, अंजनी शरण, रविकांत मिश्रा, मांगन प्रसाद राव ने भी संबोधित किया।

मुख्य अतिथि को बासुकीनाथ नगर पंचायत के अध्यक्ष पूनम देवी ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया जबकि पटेल सेवा संस्थान के अध्यक्ष विश्वंभर राव के द्वारा पुस्तक भेंट की । कार्यक्रम का संचालन डॉ. यदुवंश प्रणय ने किया। मौके पर संदीप कुमार जय बमबम, सेवानिवृत्त शिक्षक अशोक कुमार झा, जिप सदस्य चंद्रशेखर यादव, लाल मोहन राय, दामोदर गृही, गौरवकांत प्रसाद, महेश कुमार गण, दीपक कुमार राव, चंदन राव, लक्ष्मण राउत, कैलाश प्रसाद साह, प्रमोद राव समेत कई मौजूद थे।

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किसने क्या कहा

मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं की जीवंत अभिव्यक्ति मुंशी प्रेमचंद्र के बाद अगर किसी ने करने का सफल प्रयास किया है वह फणीश्वरनाथ रेणु हैं। उनकी आंचलिकता को कितने चौराहे, मारे गए गुलफाम और ठेस ने बड़े वर्णपट पर पहुंचा दिया।

अरुण सिन्हा, समाजसेवी

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साहित्यकार की आत्मा कब मुक्त होती है। जन्म जयंती या ऐसे अवसर पर पुण्य साहित्यकार के आवाहन का दिन होता है। संकल्प का दिन होता है। जब उनके साहित्य को और अधिक पढ़ें जाने और पढवाएं जाने के संकल्प लिए जाने का संकल्प लेना चाहिए।

अंजनी शरण, युवा साहित्यकार

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रेणु को कालजयी माना गया है। आंचलिकता में उन्होंने यथार्थ का चित्रण किया है। भोगा हुआ यथार्थ की वजह से रेणु न सिर्फ कालजयी रचनाकार है बल्कि कालजीवी भी है। और यह विशेषाधिकार रेणु जी को समकालीन कहानीकारों से कहीं अलग एक यथार्थवादी साहित्यकार प्रमाणित करती है।

शंभूनाथ मिस्त्री, साहित्यकार

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