भगवान भास्कर से मांगी सुख-समृद्धि

जागरण संवाददाता दुमका सूर्योपासना का पर्व चैती छठ पूजा पर रविवार को व्रतियों ने अस्त होते

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 12:34 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 12:34 AM (IST)
भगवान भास्कर से मांगी सुख-समृद्धि
भगवान भास्कर से मांगी सुख-समृद्धि

जागरण संवाददाता, दुमका : सूर्योपासना का पर्व चैती छठ पूजा पर रविवार को व्रतियों ने अस्त होते हुए सूर्य की उपासना कर अ‌र्घ्य दिया। इस बार बड़ा बांध में किसी ने अ‌र्ध्य नहीं दिया। दो तीन परिवार के लोगों ने खूंटबांध में सूर्य की उपासना की। कोरोना की वजह से अधिकतर व्रतियों ने घर में कुंड बनाकर सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया। सोमवार को उदीयमान सूर्य की उपासना के साथ चार दिन तक चलने वाले पर्व का समापन होगा।

शहर के बड़ा बांध तालाब में चैती छठ पूजा का आयोजन कई वर्षो से किया जा रहा था। इस बार समिति ने पूजन पर रोक लगाकर लोगों से नहीं आने की अपील की थी। छठ घाट सूना रहा। खूंटाबांध तालाब में भी इस बार कई श्रद्धालुओं ने बारी बारी से उपासना की कोरोना संक्रमण को लेकर इस बार अधिकतर छठ व्रतियों ने अपने घरों में ही कुंड बनाकर भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य दिया। सूर्य देव की अराधना से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

बासुकीनाथ: अधिकतर ने घरों में ही नियम निष्ठा पूर्वक छठ पर्व मनाया। वहीं शिवगंगा तट पर इस वर्ष बासुकीनाथ निवासी वीणा देवी, मनीष सिंह के परिवार समेत आधे दर्जन के करीब अन्य परिवारों ने पर्व मनाया। बासुकीनाथ पानी टंकी के समीप हनुमान नगर में रहने वाले वीणा देवी पति मनीष सिंह 35 वर्षों से लोक आस्था का महापर्व छठ करते आ रहे हैं। वीणा देवी ने कहा कि उनके पूर्वजों से छठ पर्व करने की परंपरा चली आ रही है। कोरोना संक्रमण के कारण लोगों ने घाट जाने के बजाय घर में पर्व मनाने में ही भलाई समझी।

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मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर निकाली कलशयात्रा

संवाद सूत्र, दलाही: मसलिया के गुमरो पंचायत के पंडरिया गांव में सौ साल से अधिक प्राचीन हनुमान जी के नवनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रविवार को कन्याओं ने कलश यात्रा निकाली। 51 कन्या तालाब से जल भर मंदिर परिसर तक लाई। तीन दिनों तक केवल एकनाम कीर्तन कराया जाएगा। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करा रहे ग्रामीण विश्वनाथ राय ने बताया कि बाबा बजरंग बली का निवास स्थान गांव के विशाल वट वृक्ष के नीचे शिला में था। इसकी स्थापना पूर्वज हरगौरी राय ने सौ साल पूर्व की थी। वट वृक्ष सूख जाने के बाद नए सिरे से पंडरिया के वंशज की ओर से नव मंदिर निर्मित कराकर प्राण प्रतिष्ठा कराई जा रही है। पिडारी बड़ा तालाब से जल भरकर कर कन्याओं ने माथे पर पवित्र कलश लाकर मंदिर परिसर तक लाकर स्थापित किया। यात्रा में कुमकुम कुमारी, रीता, पूनम, प्रियंका,नूपुर, संगीता, सोनी, गीता, नंदिनी, निराशी, सोनिया कुमारी, पुरोहित सुबोध झा, संजय राय व कौशिक शर्मा आदि शामिल थे।

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