देवघर के कैदी की इलाज के दौरान मौत

मेडिकल कालेज अस्पताल की आइसीयू में 14 दिन से इलाजरत देवघर के कैदी 50 वर्षीय सलीम मियां की रविवार की सुबह मौत हो गई। सलीम अपने तीन भाइयों के साथ 10 साल से दुमका जेल में हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 05:59 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 05:59 PM (IST)
देवघर के कैदी की इलाज के दौरान मौत
देवघर के कैदी की इलाज के दौरान मौत

जागरण संवाददाता, दुमका: मेडिकल कालेज अस्पताल की आइसीयू में 14 दिन से इलाजरत देवघर के कैदी 50 वर्षीय सलीम मियां की रविवार की सुबह मौत हो गई। सलीम अपने तीन भाइयों के साथ 10 साल से दुमका जेल में हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। अपर समाहर्ता विनय मनीष लकड़ा की देखरेख में अस्पताल के तीन डाक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया। मामले में मृतक की पत्नी फाल्तुन बीबी के बयान पर नगर थाना की पुलिस ने यूडी केस दर्ज कर शव को स्वजन को सुपुर्द कर दिया।

देवघर के सोनारायठाड़ी थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव में करीब 15 साल पहले जमीन विवाद में कैरूद्दीन मियां की हत्या कर दी गई थी। मामले में पुलिस ने सलीम मियां व उसके तीन भाइयों को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2006 में देवघर की अदालत ने चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। चार साल देवघर जेल में रहने के बाद वर्ष 10 में चारों को दुमका जेल भेज दिया गया। 15 दिन पहले सलीम को सांस लेने में परेशानी महसूस होने पर अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया। बुधवार को हालत ज्यादा खराब होने पर आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। रविवार की सुबह उसकी मौत हो गई। कैदी की मौत की जानकारी मिलने पर दंडाधिकारी के रूप में एसी विनय मनीष अस्पताल पहुंचे और शव का पंचनामा तैयार कराया। पोस्टमार्टम के बाद शव को स्वजन को सुपुर्द कर दिया गया है।

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जवानों पर लगाया मिलने नहीं देने का आरोप: मृतक की पत्नी फालतुन बीबी ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि पति 15 दिन से अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन पांच दिन पहले ही बीमार होने की सूचना दी गई। जब वह घर के सदस्यों से मिलने के लिए आई तो कैदी वार्ड में तैनात जवानों ने मिलने नहीं दिया। उनके इलाज में लापरवाही बरती गई है।

वहीं जेल काराधीक्षक सत्येंद्र चौधरी का कहना है कि कैदी को सांस लेने में परेशानी थी, इसलिए भर्ती करने के बाद स्वजन को सूचित किया गया। अगर पत्नी को मिलने से रोका गया था तो इसकी शिकायत करनी चाहिए थी। इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है।

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