कोयला खनन के विरोध में फिर अड़े ग्रामीण

बुधवार को शिकारीपाड़ा के हल्दीपहाड़ी गांव के निकट बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला-पुरुष व बच्चे परंपरागत वेशभूषा में हरवे-हथियार से लैस होकर जमा हुए और कोल ब्लाक संचालित करने के प्रयासों का जोरदार विरोध किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 08:09 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 08:09 PM (IST)
कोयला खनन के विरोध में फिर अड़े ग्रामीण
कोयला खनन के विरोध में फिर अड़े ग्रामीण

संवाद सहयोगी, पत्ताबाड़ी (दुमका): दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में प्रस्तावित तीन कोल ब्लाकों को संचालित करने को लेकर किए जा रहे प्रशासनिक प्रयासों का विरोध तेज हो चुका है। बुधवार को शिकारीपाड़ा के हल्दीपहाड़ी गांव के निकट बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला-पुरुष व बच्चे परंपरागत वेशभूषा में हरवे-हथियार से लैस होकर जमा हुए और कोल ब्लाक संचालित करने के प्रयासों का जोरदार विरोध किया।

ग्रामीणों ने शिकारीपाड़ा में प्रस्तावित ब्राह्माणी नार्थ चिचरो पाटशिमल कोल ब्लाक (17.03 किलोमीटर) व शहरपुर जमडुपानी बेस (15 किलोमीटर) को संचालित करने की सरकारी प्रक्रिया का जोरदार ढंग से विरोध किया। इस दौरान ग्रामीणों ने न जान देंगे और न जमीन देंगे, जो हमारी जमीन पर नजर गड़ाएगा, उसकी आंख नोच लेंगे का नारा बुलंद करते हुए कहा कि कोयला निकालने के लिए हम सरकार को अपनी जमीन कभी नहीं देंगे।

बताते चलें कि शिकारीपाड़ा में तीन कोल कंपनियों के साथ एमओयू किया गया है, जिसमें ईस्टर्न कोल्डफिल्स लिमिटेड (ईसीएल) को ब्राह्माणी नार्थ चिचरो पाटशिमल (17.03 किलोमीटर), उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन नगर लिमिटेड को शहरपुर जमडुपानी बेस (15 किमी) व हरियाणा पावर जेनरेशन कारपोरेशन लिमिटेड को बादलपाड़ा में 6.12 किमी का क्षेत्र कोयला खनन के लिए आवंटित किया गया है। कोल ब्लाक को संचालित करने के लिए चार जुलाई को सरकार द्वारा रैयतों को नोटिस भेजा गया है कि इन इलाकों में कोल ब्लाक का संचालन किया जाएगा, इसके लिए रैयत अपनी जमीन खाली कर दें। इसके एवज में उन्हें मुआवजा मिलेगा।

इसके बाद से ग्रामीण व रैयत विरोध पर उतर आए हैं। इससे पूर्व 14 जुलाई को इसी मुद्दे पर ग्रामीण व रैयतों ने शिकारीपाड़ा के ही पंचवाहिनी पकलूपाड़ा हटिया मैदान में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं 15 जुलाई को सीओ की अगुवाई में ग्राम प्रधानों की जमीन अधिग्रहण से संबंधित बैठक रखी गई थी, जिसमें प्रभावित क्षेत्र के अधिकांश ग्राम प्रधान शामिल नहीं हुए थे। इधर, 16 जुलाई को यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारी आवंटित क्षेत्र का निरीक्षण करके वापस लौटे हैं और इसके उपरांत बुधवार को ग्रामीणों ने फिर से जोरदार विरोध जताया है।

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