नींद में गंवा दिए सपनों का घर

जिला प्रशासन के ओर से सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में रोज बड़ी संख्या में लोग प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 09:53 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 09:53 PM (IST)
नींद में गंवा दिए सपनों का घर
नींद में गंवा दिए सपनों का घर

जिला प्रशासन के ओर से सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में रोज बड़ी संख्या में लोग प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन दे रहे हैं। वहीं, शहरी क्षेत्र में 118 लाभुक ऐसे हैं, जिन्हें सपनों का घर सौगात में मिला, लेकिन लापरवाही की नींद में गंवा दिया। नगर परिषद ने सभी आवास को सरेंडर दिखाकर दिल्ली को इसकी सूची प्रेषित कर दी है। अब इन लाभुकों को आवास के लिए दिल्ली तक फरियाद करनी होगी।

दरअसल, नगर परिषद ने वर्ष 16-17 में शहरी क्षेत्र में रहने वाले करीब आठ लोगों को प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत आवास स्वीकृत किया था। इसके लिए लाभुकों ने नगर परिषद के कई चक्कर भी लगाए, लेकिन आवास स्वीकृत होने के बाद सभी लापरवाह हो गए। 118 लोगों ने काम शुरू नहीं किया, जिस कारण एक भी पैसा उन्हें नहीं मिल सका। वर्ष 18 में नगर परिषद ने जब कारण पूछा तो यही जवाब मिलता रहा है कि बस काम शुरू होने वाला है। इसी में पूरा साल बीत गया। नगर परिषद की ओर से करीब एक दर्जन से अधिक बार नोटिस तक भेजी गई, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। हारकर नगर परिषद ने इन सभी आवास को सरेंडर घोषित कर दिया। बाकायदा इसकी रिपोर्ट राज्य के माध्यम से दिल्ली में विभाग के पास भेजी दी।

-----

अब कारण बताने के बाद ही मिल सकता है आवास

आवास गंवाने वाले लाभुकों को फिर से योजना का लाभ लेने के लिए ठोस कारण बताना होगा। इस बात का प्रमाण देना होगा कि किस कारण से काम शुरू नहीं कराया। लाभुक को राज्य से लेकर दिल्ली तक फरियाद करनी होगी। अगर मंजूरी मिल भी गई तो उन्हें आवास के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। अगर लाभुक के बजाय उनके घर का कोई विवाहित व्यक्ति आवेदन देता है तो नगर परिषद उस पर जरूर विचार कर सकती है।

------

आपसी विवाद की वजह से शुरू नहीं हो सका काम

जांच में यह बात पता चली है कि अधिकांश आवास के कार्य में भाई के बीच बंटवारा ही मुख्य वजह थी। एक भाई काम करना चाहता था तो दूसरा अडं़गा लगा देता। चार साल में लाभुक पारिवारिक विवाद को सुलझा नहीं सके। ---

वर्जन

दर्जनों बार नोटिस भेजने के बाद भी आवास का काम नहीं कराने वाला का आवास सरेंडर की सूची में डाल दिया गया है। अब किसी को दोबारा योजना का लाभ लेने के लिए दिल्ली में बैठे अधिकारियों को ठोस वजह बतानी होगी। दिल्ली व राज्य नगर विकास से अनुमति मिलने के बाद ही फिर से आवास आवंटित किया जा सकता है।

सुमित प्रशांत सोरेन, सिटी मैनेजर आवासीय योजना, नगर परिषद दुमका

chat bot
आपका साथी