बारिश में व्यर्थ नहीं जाएगी पानी की एक बूंद
रामगढ़ रामगढ़ बाजार में द्वारिका भगत के जिस तालाब में वर्षो पहले मछलियां तैरती थी अब वहां
रामगढ़: रामगढ़ बाजार में द्वारिका भगत के जिस तालाब में वर्षो पहले मछलियां तैरती थी, अब वहां मवेशी चरते दिख जाएंगे। तालाब में उग आई झांड़ियां व अतिक्रमण के कारण इसका अस्तित्व खतरे में आ गया है। एक बार फिर से द्वारिका के वंशजों ने अपने पूर्वजों के नाम को जिदा रखने के लिए तालाब को अस्तित्व में लाने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। प्रयास है कि इस बार बारिश की हर बूंद को सहेज कर तालाब को फिर पुराने रूप में लाया जा सके।
लगभग सवा सौ वर्ष पूर्व द्वारिका भगत ने जनकल्याण के लिए रामगढ़ बाजार में लगभग पांच बीघा जमीन पर विशाल तालाब का निर्माण निजी खर्च पर करवाया था। चालीस वर्ष पूर्व इस तालाब के पानी का उपयोग नहाने के अलावा घरों में खाना बनाने के लिए करते थे। तालाब के नीचे की लगभग दस एकड़ जमीन में सिचाई भी होती थी। बाजार की दुकानों में काम करने वाले लोग इसी तालाब पर निर्भर थे। तालाब में शौच करने के बाद धोने की पूर्ण मनाही है। पहले तालाब में पांच-पांच किलो की मछली निकलती थी। तालाब में छठ महापर्व का भी आयोजन किया जाता था। द्वारिका के मरने के बाद पुत्रों ने तालाब को सहेज कर रखा। परिवार बढ़ने के कारण लोगों ने तालाब की ओर ध्यान देना बंद कर दिया। कई लोगों की हिस्सेदारी होने के कारण इसका अस्तित्व अब खतरे में आ गया है। परन्तु अब वंशज इसे एक बार फिर से संवारने में जुट गए हैं। गोतिया के सभी लोग तालाब को फिर से बनाने के लिए जल्द ही बैठक करने वाले हैं। सभी का एक ही प्रयास है कि बार बारिश की एक बूंद व्यर्थ जाने की बजाय तालाब में समेट ली जाए।
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जीर्णोंद्वार की कोशिश हो रही है। जल्द ही तालाब को नया रूप देकर पानी की हर बूंद को सहेजा जाएगा। जल संरक्षण के लिए तालाब बहुत जरूरी है। गोतिया के साथ बैठक कर इसे फिर से जीवित करने की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
डॉ. अशोक कुमार, के वंशज
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कई गोतिया का हिस्सा होने के कारण ध्यान नहीं देने की वजह से झांड़ियां उग आई हैं। किनारे रहने वालों ने भी अतिक्रमण कर लिया है। जल्द ही तालाब की नापी कराकर जीर्णोद्वार की पहल की जाएगी।
महेन्द्र कुमार भगत, वंशज
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