पशुओं को टीका लगवाकर गलघोंटू से बचाए ं: डॉ. अमित

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ गलघोंटू रोग एक जानलेवा संक्रामक रोग है। यह बारिश शुरू होने

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 05:20 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 05:20 PM (IST)
पशुओं को टीका लगवाकर गलघोंटू से बचाए ं: डॉ. अमित
पशुओं को टीका लगवाकर गलघोंटू से बचाए ं: डॉ. अमित

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ:

गलघोंटू रोग एक जानलेवा संक्रामक रोग है। यह बारिश शुरू होने के साथ फैलता है। इसमें मृत्यु दर अधिक होती है। पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए बारिश से पहले टीका लगवाकर उन्हें गलाघोंटू नामक बीमारी से बचाया जा सकता है।

रविवार को पशु चिकित्सक डॉक्टर अमित कुमार झा ने बताया कि रोग का कारक जीवाणु पस्चोरेला मल्टोसिडा है। यह रोग पशुओं के लिए प्राणघातक है। अगर किसी पशु को अचानक तेज बुखार आता है, आंखें लाल हो जाती हैं और कांपने लगता है। खाना पीना बंद हो जाता है। अचानक दूध घट जाता है। जबड़ों के अलावा गले के नीचे सूजन आती है। सांस लेने में कठिनाई होती है और घुर्र- घुर्र की आवाज आती है। जीभ सूजकर बाहर निकल आती है। लगातार लार गिरती है तो यह बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है। समय पर उपचार नहीं होने पर पशु मर जाता है।

-कैसे करें रोकथाम

बरसात आने से पहले ही सारे पशुओं को गलघोंटू का टीका अवश्य लगवाएं। स्वस्थ पशुओं से बीमार पशुओं को अलग कर लें। पशु आहार, चारा, पानी आदि को रोगी पशु से दूर रखें।

--

उपचार:- यह एक खतरनाक बीमारी है, अत: उपचार और परामर्श के लिए पशुचिकित्सक से तत्काल सलाह लेनी चाहिए। बीमारी का पता लगने पर उपचार शीघ्र शुरू किया जाता है तो जानलेवा रोग से पशुओं को बचाया जा सकता है। एंटी बायोटिक जैसे सल्फाडिमीडीन ऑक्सीटेट्रासाइक्लीन और क्लोरोम फॉनीकोल एंटी बायोटिक का इस्तेमाल इस रोग से बचाव के साधन हैं।

--

टीकाकरण:- वर्ष में दो बार गलघोंटू रोकथाम का टीका अवश्य लगाना चाहिए। पहला वर्षा ऋतु में व दूसरा सर्द ऋतु में। डॉ. अमित झा ने कहा कि पशुपालक समय-समय पर पशुओं की नियमित रूप से चिकित्सा जांच करवाएं। किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक से संपर्क कर उचित सलाह व परामर्श अवश्य लें।

chat bot
आपका साथी