नव विवाहिताओं ने कोहबर गीत गाकर शिव को रिझाया

बासुकीनाथ क्षेत्र के विभिन्न घरों में आयोजित मधुश्रावणी पूजन के पांचवें दिन सोमवार को नव विवाहिताओं ने भोले शंकर एवं माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सुहाग गीत तथा कोहबर के कई गीत गाकर रिझाया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 07:12 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 07:12 PM (IST)
नव विवाहिताओं ने कोहबर गीत गाकर शिव को रिझाया
नव विवाहिताओं ने कोहबर गीत गाकर शिव को रिझाया

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: बासुकीनाथ क्षेत्र के विभिन्न घरों में आयोजित मधुश्रावणी पूजन के पांचवें दिन सोमवार को नव विवाहिताओं ने भोले शंकर एवं माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सुहाग गीत तथा कोहबर के कई गीत गाकर रिझाया। नवविवाहिताओं ने अपने मायके में रह कर यह व्रत पूरे नियम निष्ठा के साथ किया। इसमें ससुराल पक्ष से आए पूजन सामग्री के द्वारा भोलेनाथ, माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की गई। बासुकीनाथ पचभैया टोला की निहंशा झा, जरमुंडी के अंबा गांव निवासी निक्की झा, प्रियंका झा, कोमल झा, सुखजोरा निवासी कौशिकी झा सहित दर्जनों अन्य नवविवाहिता द्वारा विवाह के प्रथम श्रावण में मधुश्रावणी व्रत पूरे नियम निष्ठा के साथ किया जा रहा है।

बासुकीनाथ के पंडित आशुतोष झा ने बताया कि मधुश्रावणी का यह व्रत नवविवाहिता के द्वारा शादी के प्रथम वर्ष श्रावण माह में किया जाता है। यह व्रत श्रावण मास कृष्ण पक्ष पंचमी से प्रारंभ होकर श्रावण मास शुक्ल पक्ष पंचमी तक चलता है। इस मौके पर महिला कथा वाचिका द्वारा कथा वाचन भी होता है और कथा समापन के उपरांत प्रसाद वितरण भी किया जाता है। मधुश्रावणी पूजा में नवविवाहिताएं अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। मान्यता है कि यह पूजा पति को दीर्घायु तथा सुख शांति के लिये की जाती है। पूजन के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, पतिव्रता, महादेव कथा,गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा तथा बाल वसंत कथा सहित 14 खंडों में कथा का श्रवण किया जाता है। गांव समाज की बुजुर्ग महिला कथा वाचिकाओं के द्वारा नव विवाहिताओं को यह कथा सुनायी जाती हैं। वहीं प्रतिदिन संध्याकाल में महिलाएं आरती, सुहाग गीत तथा कोहबर गाकर भोले शंकर को प्रसन्न करती है। इसके साथ ही नाग-नागिन, हाथी, गौरी, शिव आदि की प्रतिमा बनाकर प्रतिदिन कई प्रकार के फूलों, मिठाइयों एवं फलों से पूजन किया जाता है। प्रत्येक दिन नाग देवता को दूध लावा का भोग भी लगाया जाता है।

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