मछुआरों ने कृषि मंत्री से की मत्स्य आयोग गठित करने की मांग

जरमुंडी में सोमवार की देर शाम सूबे के कृषि मंत्री सह जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख से झारखंड एसोसिएशन आफ फिशरीज सोसाइटी एवं राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद ने राज्य में मत्स्य आयोग गठित करने की मांग की है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 09:48 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 09:48 PM (IST)
मछुआरों ने कृषि मंत्री से की मत्स्य आयोग गठित करने की मांग
मछुआरों ने कृषि मंत्री से की मत्स्य आयोग गठित करने की मांग

जरमुंडी में सोमवार की देर शाम सूबे के कृषि मंत्री सह जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख से झारखंड एसोसिएशन आफ फिशरीज सोसाइटी एवं राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद ने राज्य में मत्स्य आयोग गठित करने की मांग की है। इस दौरान एसोसिएशन के प्रदेश सचिव विवेक साहनी के नेतृत्व में मुलाकात करने पहुंची एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड राज्य के मछुआरों से जुड़ी कई मांगों से भी अवगत कराया। मछुआरों ने बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी मत्स्य आयोग गठित करने की मांग की। इसके अलावा मछुआरों की समस्याओं के निदान के लिए राज्य के सभी जिले में मत्स्य शिकायत कोषांग खोलने की मांग मंत्री से किया गया। विवेक साहनी ने कहा कि मछुआरों के लिए चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अशिक्षित व गरीब मछुआरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। बिचौलिया इसका लाभ उठा रहे हैं। मत्स्य विभाग में कई जिलों में फर्जी मछुआरों का घुसपैठ हो चुका है, जो सिर्फ सर्टिफिकेट दिखा कर योजनाओं को हड़प रहे हैं। कहा कि मत्स्य विभाग में पिछले 10 वर्षों में केवल केज कल्चर, आरएफएफ एवं पोर्टेबल हैचरी योजना पर रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन इसका सार्थक परिणाम धरातल पर नहीं दिख रहा है। यदि इन योजनाओं का भौतिक सत्यापन कराया जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है। कहा कि कई जिलों में मत्स्य विभाग द्वारा नगर निगम को तालाब हस्तांतरित कर दिया गया है, लेकिन अभी तक कई जिलों के निगम ने तालाबों की बंदोबस्ती पिछले एक साल से शुरू नहीं की है। मछुआरों को इससे काफी नुकसान हो रहा है। कहा कि कृषि मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को सुनने के बाद यथाशीघ्र सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधिमंडल में भरत कापरी, राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के हजारीबाग जिला अध्यक्ष विश्वनाथ निषाद, हजारीबाग मत्स्यजीवी सहयोग समिति के रंजीत निषाद, राजबब्बर कापरी, उपकेश केवट, रामानंद केवट, उत्तम केवट, महावीर कुमार शामिल थे।

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