मुखिया बनने की चाह में डकैत बना बिहार का सुनील
राजनीति में कदम रखने के लिए कोई भी किसी हद तक जा सकता है। इस बात को साबित कर दिखाया है।
राजनीति में कदम रखने के लिए कोई भी किसी हद तक जा सकता है। इस बात को साबित कर दिखाया है कि सोमवार को गणपति ज्वेलर्स में डकैती के प्रयास के दौरान भीड़ के हाथ आए डकैत सुनील मल्लाह ने।
बिहार राज्य के खगड़िया के बहादुरपुर के रहने वाले सुनील मल्लाह ने बुधवार को मेडिकल कालेज अस्पताल में इलाज के दौरान बताया कि वह गांव में होने वाले पंचायत चुनाव में मुखिया पद पर खड़ा होना चाहता था। चुनाव में बहुत पैसा लगता है, लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं था। हर हाल में चुनाव लड़ना चाहता था। पैसों की कमी को पूरा करने के लिए लुटेरा गैंग के साथ मिलकर गणपति ज्वेलर्स नामक आभूषण दुकान में डकैती का प्रयास किया। भागने के क्रम में दुकानदार और उसके भाइयों ने उसे पकड़ लिया। इलाजरत सुनील ने बताया कि लूट की पहली घटना का अंजाम देने जा रहा था, लेकिन सफल नहीं हो पाया। चार भाइयों में एक बड़ा भाई चालक है और दो छोटे भाई पढ़ रहे हैं। तीनों बहन की शादी हो चुकी है। बड़े भाई को छोड़कर बाकी तीन भाई की अभी शादी नहीं हुई है। पिता की पहले ही मौत हो चुकी है डकैत करने से पहले ट्रक पर चालक था। एक सड़़क हादसा के बाद गाड़ी चलाना छोड़ दिया। इसी बीच बिहार में पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई। मुखिया का चुनाव लड़ने का मन बनाया। पैसों की व्यवस्था करने के लिए गांव के संतोष यादव नामक एक व्यक्ति से मिला और संतोष ने पैसे की आसान व्यवस्था लूट के जरिए करने की बात उसके दिमाग में डाली। भागलपुर के तीन लुटेरे रोहित ,साहेब और सचिन से संपर्क साध कर लूट की रणनीति तैयार की। लूट बिहार में ना कर झारखंड में करनी थी इसलिए दुमका को सेफजोन मानकर रणनीति तैयार की। ज्वेलरी दुकान की पहले रेकी की और फिर दो बाइक से पिस्टल के साथ दुकान पहुंचे। वह साहेब और रोहित दुकान घुस कर दुकानदारों को कब्जे में लिया। तभी पीछे से साथी सचिन ने आकर कहा कि भागो। साहेब, सचिन और रोहित भाग गए और वह पकड़ में आ गया। हालांकि एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी का कहना है कि आरोपित ने चुनाव के संबंध में कुछ नहीं बताया है।