पति पिटाई करता था तो थाम लिया हथियार, बन गई नक्सली Dumka News

Naxalite. पति पिटाई करता था तो नक्सली बन गई फिर एक के बाद दूसरे कांड में शामिल होती गई। अब अफसोस होता है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Tue, 18 Jun 2019 01:10 PM (IST) Updated:Tue, 18 Jun 2019 05:48 PM (IST)
पति पिटाई करता था तो थाम लिया हथियार, बन गई नक्सली Dumka News
पति पिटाई करता था तो थाम लिया हथियार, बन गई नक्सली Dumka News

दुमका, अश्विनी रघुवंशी। भाकपा माओवादी की संताल जोनल कमांडर पीसी दी उर्फ प्रीशिला उर्फ सावड़ी सिंह। संताल परगना में माओवाद का सबसे खतरनाक नाम। बाजू इतने मजबूत कि किसी लंबे चौड़े मर्द को जकड़ ले तो एक झटके में गर्दन की हड्डी तोड़ दें। दस साल पहले इसी पीसी दी को सिर्फ इस कारण हथियार उठाना पड़ा, क्योंकि पहला पति रवींद्र देहरी उसकी पिटाई करता था।

पीसी दी बताती है कि पति शराब पीकर आता था और रोज गाली-गलौज व पिटाई करता था। तंग आकर वह कुंडा पहाड़ी में अपने मायके चली गई थी। पति वहां भी आकर मारपीट करता था। तब नारी मुक्ति संघ में चली गई। उन लोगों के साथ गांव-गांव जाती थी। 2007-08 में प्रवीर दा, ताला दा और विजय दा से मुलाकात हुई। इसके बाद नक्सली बन गई और हथियार उठा लिया। फिर एक के बाद दूसरे कांड में शामिल होती गई। अब अफसोस होता है।

विजय दा ने स्पेशल एरिया सदस्य नहीं बनने दिया
पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या से लेकर 2014 में लोकसभा चुनाव कराने के बाद लौट रही पेट्रोलिंग पार्टी के आठ लोगों की हत्या का मुकदमा पीसी दी पर है। पीसी दी बताती है कि ताला दा जिंदा थे तो संगठन में सम्मान मिलता था। प्रवीर दा के पकड़ाने और ताला दा के मरने के बाद स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य (सैक मेंबर) होने के नाते विजय दा उर्फ नंदलाल माझी हम सबसे ऊपर थे। विजय के प्रभाव में आने के बाद संगठन में भेदभाव बढ़ गया।

विजय के कारण वह सैक मेंबर नहीं बन पाए। पहले की तरह सम्मान नहीं मिलता था। लेवी का पैसा विजय दा के पास जाता था और उन्हें बाकी लोगों की चिंता नहीं थी। संगठन में महिला कैडरों का शारीरिक शोषण भी किया जाने लगा था। इस कारण संगठन से जी उचट गया। पुलिस मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गए, इसके बाद हम संगठन छोड़ भाग आए और सरेंडर करने का निर्णय लिया।

पिता ने मां को छोड़ा, माता ने हमें, हमने हारकर उठा लिया हथियार
किरण संताल परगना में भाकपा माओवादी के सबसे प्रभावी चेहरा ताला दा उर्फ सहदेव राय की पत्नी सब जोनल कमांडर किरण टुडू उर्फ पकु टुडू उर्फ उषा उर्फ फुलीन टुडू के भी भाकपा माओवादी में आने की दास्तां भी किसी फिल्मी कथानक की तरह है। किरण बताती है, उसका और बहन का जन्म पाकुड़ जिले के गायपाथर गांव में हुआ था। पिता कटु टुडू रोज शराब पीकर मां बुदीन सोरेन के साथ गाली-गलौज करते थे, मारते-पीटते थे। तब दोनों बहनें छोटी थी। अचानक पिता ने दूसरी शादी कर ली। मामा उसकी मां और दोनों बहनों को लेकर शिकारीपाड़ा के सरायपानी गांव में अपने घर लाए।

मां ने कुछ दिन बाद काठीकुंड के चिचरो गांव के नोरेन मरांडी से विवाह कर लिया। दोनों बहनें फिर बेसहारा हो गई थी। मामा के यहां माओवादी दस्ता के सदस्य संतोषी और हेमलाल हांसदा आते थे। वे गांव के नौजवान लड़के-लड़कियों को नक्सली संगठन में शामिल कराते थे। कहते थे कि पार्टी में काम करने पर 5 हजार रुपये महीने मिलेंगे और सभी सुविधाएं दी जाएंगी। जीने का कोई सहारा नहीं था। इस कारण लोभ में दोनों बहनें दस्ता में आ गईं। 2015 में महुगढ़ी और पोखरिया के बीच जोयापानी जंगल में प्रवीर दा और विजय दा की मौजूदगी में ताला के साथ उसकी शादी कराई गई।

जिन पुलिस वालों की जान ली, उन्होंने ही दी नई जिंदगी
ताला दा के मरने के बाद किरण की तबीयत इतनी खराब हो गई थी कि दस्ता के लोग मान चुके थे कि अब उसकी अर्थी उठ जाएगी। दुमका एसपी वाईएस रमेश को इसकी भनक लगी तो किसी के जरिए किरण का इलाज कराया। जब किरण की तबीयत ठीक हुई तो कई दिन बाद मालूम चला कि जिन पुलिस वालों की वो जान लेती रही है, उसी पुलिस ने उसकी जान बचाई है। इसी वाकये के बाद उसने सरेंडर का मन बना लिया था। किरण कहती हैं, ताला के मरने के बाद आहत हो गई थी। हमेशा सोचती रहती थी कि हालात ने हथियार पकड़ा दिया। अब फिर से नई जिंदगी जीना चाहती है। सिर्फ शांति हो..शांति।

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