शिव पंचाक्षर मंत्र से बासुकीनाथ गुंजायमान

संवाद सहयोगी बासुकीनाथ(दुमका) बासुकीनाथ के दरबार में शुक्रवार को इंद्रदेव की कृपा बरस

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 12:02 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:02 AM (IST)
शिव पंचाक्षर मंत्र से बासुकीनाथ गुंजायमान
शिव पंचाक्षर मंत्र से बासुकीनाथ गुंजायमान

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ(दुमका) : बासुकीनाथ के दरबार में शुक्रवार को इंद्रदेव की कृपा बरसती रही। यहां जम कर बारिश हुई। बीच-बीच में बादल गजरते रहे। मानो इंद्रदेव श्रावण माह में बाबा बासुकीनाथ का जलाभिषेक कर रहे हों और बादल शंख फूंक रहे हों। हालांकि बासुकीनाथ मंदिर में शिव पंचाक्षर मंत्र की गूंज के सामने मेघ गर्जना का शोर गुम हो जाता था।

बता दें कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर बासुकीनाथ मंदिर में बाहरी श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन मंदिर में सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान पूर्ववत जारी है। शुक्रवार को प्रात:कालीन पूजन, विश्राम पूजा व श्रृंगार पूजा के दौरान मंदिर परिसर शिव पंचाक्षर मंत्र से गुंजायमान होता रहा। पुजारी व मंदिर कर्मियों ने शिव श्लोक, भजन गाकर बाबा बासुकीनाथ की आराधना की।

विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर में प्रतिदिन श्रृंगार पूजन का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। मंदिर में आयोजित होने वाले इस पूजन को देखने के लिए भक्त सदैव लालायित रहते हैं। अभी वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण आम भक्तों के दर्शन पूजन पर रोक है। बावजूद इसके परंपराओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान का परंपरागत तरीके से निर्वहन हो रहा है। विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में श्रावण मास के छठे दिन शुक्रवार की सुबह पुजारी सदाशिव पंडा ने मंदिर परिसर स्थित सभी मंदिरों के कपाट खोले। सभी मंदिरों की सफाई एवं रात्रि के पूजन अपशिष्ट को हटाने के बाद उन्हें जल से धोया गया। पुजारी सदाशिव पंडा ने प्रात:कालीन पुरोहित पूजा किया। शुक्रवार की दोपहर एक बजे के करीब पुजारी सदाशिव पंडा ने दोपहर की विश्राम पूजा सह श्रृंगार पूजा संपन्न कराई। वहीं रात्रि में भी पुजारी सदाशिव पंडा के द्वारा भव्यतापूर्वक बाबा बासुकीनाथ का श्रृंगार किया गया।माता पार्वती, माता काली, शीतला माता, शत्रु संहारिणी बगलामुखी माता, आनंद भैरव व मंदिर परिसर स्थित विभिन्न देवी-देवताओं की भी पूजा अर्चना व श्रृंगार पूजा की गई।

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