परंपरागत कला संस्कृति को मिलेगा मुकम्मल ठौर

जागरण संवाददाता झारखंड के परंपरागत कला संस्कृति लोककला नृत्य-संगीत को संरक्षित करने

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 06:33 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 06:33 PM (IST)
परंपरागत कला संस्कृति को मिलेगा मुकम्मल ठौर
परंपरागत कला संस्कृति को मिलेगा मुकम्मल ठौर

जागरण संवाददाता : झारखंड के परंपरागत कला, संस्कृति, लोककला, नृत्य-संगीत को संरक्षित करने के उद्देश्य से कल्याण विभाग के माध्यम से दुमका जिले में 50 आदिवासी संस्कृति एवं कला केंद्रों को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बुधवार को दुमका के पुलिस लाइन मैदान से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका शिलान्यास कर केंद्र के भवन निर्माण की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है। नई व्यवस्था के तहत अब आदिवासी संस्कृति एवं कला केंद्रों के निर्माण के लिए लाभुक समितियों का चयन किया जाना है। इनके ही माध्यम से इन भवनों का निर्माण कराया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत अब जिस गांव में केंद्र बनना है वहां के ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में लाभुक समिति का चयन किया जाएगा। यह समिति आदिवासी संस्कृति एवं कला केंद्र का निर्माण कराएगी।

भवन निर्माण के बाद इससे स्थानीय स्तर पर कमेटी गठित कर उसे सौंप दिया जाएगा और इस योजना के दूसरे चरण में इन केंद्रों को वाद्य यंत्र समेत जरूरत की अन्य सामग्रियों से लैस किया जाएगा। कल्याण विभाग की इस योजना को आइटीडीए के परियोजना निदेशक तय मानकों के अनुरूप क्रियान्वित कराएंगे।

---------- दुमका में 50 केंद्रों पर खर्च होंगे 720 लाख रुपये

दुमका जिले के सभी 10 केंद्रों में आदिवासी जनसंख्या के मुताबिक 50 आदिवासी कला संस्कृति केंद्रों के निर्माण पर 720 लाख रुपये खर्च किया जाएगा। आदिवासी कला संस्कृति केंद्रों के निर्माण के पीछे सरकार की सोच है कि आदिवासियों की संस्कृति व परंपरागत नृत्य, संगीत व अन्य गतिविधियों को संरक्षित व अक्षुण्ण रखा जाए। इसके लिए इन केंद्रों के संचालन की जिम्मेवारी भी गांव के युवाओं को हस्तगत किया जाएगा। योजना के दूसरे चरण में कलाकारों के लिए जरूरत की सामग्रियां केंद्र में उपलब्ध कराई जाएगी। दुमका में इन केंद्रों में पुस्तकों को भी रखने की योजना है। ------------

सरकार के स्तर से आदिवासी संस्कृति व कला को संरक्षित करने की दिशा में किया जा रहा प्रयास निसंदेह स्वागत योग्य है। आदिवासी संस्कृति कला केंद्रों के निर्माण से गांव में सांस्कृतिक गतिविधियों का बढ़ाने में सहूलियत होगी और युवा पीढ़ी इस ओर वापस भी लौटेंगे।

मंगल मुर्मू, मांझी हड़ाम, कुकुरतोपा, जामा

----------------- आदिवासी संस्कृति कला केंद्र बनने से कला व संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। जरूरी है यह कि इन केंद्रों को संचालित करने की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। इसलिए सरकार केंद्र की स्थापना पूर्णता से कराए और इसकी उपयोगिता तय करने की मुकम्मल व्यवस्था करें।

बबीता मुर्मू, संगीत शिक्षिका, धावाडीह, जामा ---------------

वर्जन ---------

आदिवासी कला व संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कल्याण विभाग के माध्यम से आदिवासी संस्कृति कला केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है। बीडीओ के स्तर से अनुशंसित लाभुक समितियों के माध्यम से पहले चरण में भवन का निर्माण होगा। दूसरे चरण में इसे वाद्य यंत्रों व अन्य जरूरत की सामग्रियों से लैस किया जाएगा। केंद्र का संचालन स्थानीय स्तर पर गठित कमेटी के माध्यम से होगा।

राजेश कुमार राय, उपनिदेशक, आइटीडीए, दुमका

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