लद्दाख गए 34 मजदूरों का पता नहीं, स्वजन चितित
रोजगार की तलाश में करीब एक माह पहले मेट के कहने पर लद्दाख गए प्रखंड के 34 मजदूरों का स्वजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। किसी तरह की सूचना नहीं मिलने पर परिवार के लोग चितित हैं।
संवाद सहयोगी, रानीश्वर: रोजगार की तलाश में करीब एक माह पहले मेट के कहने पर लद्दाख गए प्रखंड के 34 मजदूरों का स्वजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। किसी तरह की सूचना नहीं मिलने पर परिवार के लोग चितित हैं। सभी ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
प्रखंड की रानीबहाल पंचायत के मधुबन, हाटपड़ा, सरकारीबांध व देवानबाड़ी गांव के 34 मजदूर रोजगार की तलाश में चार अप्रैल को लद्दाख गए थे। 20 दिन से किसी ने अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क तक नहीं किया। मजदूरों किस हाल में इसको लेकर परिजन काफी चितित हैं। मधुबन गांव के प्रधान हेंब्रम की पत्नी मुनादी मुर्मू समेत बसंती किस्कू, रूतुई हेंब्रम व सदनी हेंब्रम ने बताया कि गांव के श्रीजल हेंब्रम, बाबूधन हेंब्रम, सरकारी बांध के सेनापति सोरेन, हाटपाड़ा गांव के दिलीप सोरेन, सुनीलाल सोरेन समेत चार अप्रैल को घर से निकले। पारसिमला गांव का मेट दुलाल मोदी, शंकर मोदी व सादीपुर गांव का बबलू बैरागी मजदूरी के रूप में मोटी रकम दिलाने का प्रलोभन देकर ले गया है। अब एक महीना हो गया है, लेकिन किसी का कुछ पता नहीं चला है।
बसंती ने बताया कि पति प्रधान ने 20 दिन पहले डरते हुए मोबाइल पर बात की थी और बताया कि किसी को काम नहीं मिला है। अब खाने के लिए कुछ बचा नहीं है। जो मेट लाया था, वह भी भाग गया है। यह भी पता नहीं है कि सब लोग कहां पर हैं। गांव से ले जाने से पहले मेट ने पंचायत कार्यालय को भी सूचना नहीं दी। सभी ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।