World Tuberculosis Day 2021: लाइलाज नहीं है टीबी; धनबाद में 9 वर्षों में 22,717 लोगों ने जीती टीबी से जंग...पढ़‍िए पूरी र‍िपोर्ट

केंदुआ चार नंबर की आशा देवी (बदला हुआ नाम) सब्जी बेचकर गुजर बसर करती है। कोरोना काल में 2 माह से खांसी से ग्रसित थी काफी कमजोर हो गई थी। कोरोना संक्रमण के भय से जांच नहीं करवा रही थी। लेकिन जब एसएनएमएमसीएच में जांच हुई तो उसे टीबी निकला।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 24 Mar 2021 10:52 AM (IST) Updated:Wed, 24 Mar 2021 10:52 AM (IST)
World Tuberculosis Day 2021: लाइलाज नहीं है टीबी; धनबाद में 9 वर्षों में 22,717 लोगों ने जीती टीबी से जंग...पढ़‍िए पूरी र‍िपोर्ट
केंदुआ चार नंबर की आशा देवी (बदला हुआ नाम) सब्जी बेचकर गुजर बसर करती है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

मोहन गोप, धनबाद: केंदुआ चार नंबर की आशा देवी (बदला हुआ नाम) सब्जी बेचकर गुजर बसर करती है। कोरोना काल में 2 माह से खांसी से ग्रसित थी, काफी कमजोर हो गई थी। कोरोना संक्रमण के भय से जांच नहीं करवा रही थी। लेकिन जब एसएनएमएमसीएच में जांच हुई, तो उसे टीबी निकला। इसके बाद आशा ने डॉट्स प्लस सेंटर की देखरेख में 8 माह तक दवाई खाई।

अब फिर से वह समान्य जिंदगी जीने लगी है। दरअसल, आशा की तरह कोयलांचल में कोरोना महामारी के दौरान भी वर्ष 2020 में 2693 लोगों ने टीबी को मात दी है, टीबी को हराकर अपनी जिंदगी जी रहे हैं। पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत धनबाद में पिछले 9 वर्षों में (वर्ष 2012 से 2020 तक) 22717 मरीजों ने टीबी से जंग जीती है। इन 9 वर्षों में 122551 लोगों की कोयलांचल में स्क्रीनिंग की गई। इसमें 24800 लोग टीबी से ग्रसित पाए गए।

इन इलाकों में ज्यादा मरीज

-केंदुआ चार नंबर

-कुमारधुबी भुइयां पट्टी

-पुटकी दस नंबर

-निरसा का गोपीनाथडीह

-चिरकुंडा का शिवलीबाड़ी

-गोविंदपुर का सरकारडीह

-धनबाद का पांडरपाला

-श्रमिक कालोनी भूली

-झरिया बाजार, लोदना, भौंरा, सुदामडीह

अब तक 650 एमडीआर के मरीज मिले

याक्ष्मा विभाग के सीनियर सुपरवाइजर आर के समादार ने बताया कि टीबी की दवा जब बीच में छूट जाती है. तब यह मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी बन जाता है. यह बेहद संक्रामक व जानलेवा होता है. इसके लिए लगातार दो माह तक दवाएं खानी पड़ती है. नौ वर्षों में धनबाद में अब तक 650 एमबीआर टीबी के मरीज मिले हैं। इनके लिए डीआरटीबी सेंटर है. जहां ऐसे मरीजों को भर्ती कराया जा रहा है. वर्ष 2020 में 72 एमबीआर के केस मिले हैं।

जानें कितने मरीज हुए ठीक

वर्ष          कुल जांच    मरीज मिले   ठीक हुए

2012      12499    2759   2539

2013      12745   2662  2396

2014     12814  2778  2527

2015    12750  2299  2115

2016     14102 2684  2496

2017     15301 2923 2659

2018     15114  2445 1945

2019     17211  3557 3347

2020     10015 2693 2693

जानें कितना घातक है टीबी

टीबी, क्षय रोग या यक्ष्मा एक ही नाम है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। फेंफड़े के बाद यह शरीर के दूसरे भाग को भी प्रभावित करता है। टीबी एक घातक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी, छींकने या थूकने के दौरान हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। टीबी से पीड़ित मरीज के  लगातार बलगम के साथ खांसी आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना तथा  बुखार

आदि लक्ष्ण होते हैं।

निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को 500 राशि

निक्षय पोषण योजना के तहत अब संक्रमित मरीजों को (जब तक दवा चलती है) 500 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान शुरू हुआ है। सरकार का मामला है कि  टीबी गरीबों को होने वाली बीमारी है, ऐसे में वह पोषण युक्त आहार नहीं खा सकते हैं, इस लिए प्रतिमाह पोषण के लिए उन्हें 500 रुपये  प्रदान किया जा रहे हैं।

वर्जन

दो सप्ताह से अधिक खांसी होने पर अपनी बलगम की जांच जरूर कराएं। टीबी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। सरकारी में दवाएं निशुल्क है। कोरोना संक्रमण में थोड़ी जांच प्रभावित हुई थी, अब इसमें तेजी लाई जा रही है। 

डॉ. गोपास दास, सिविल सर्जन, धनबाद।

chat bot
आपका साथी