आयोडीन की कमी से धनबाद में बढ़ रहे थायराइड के मामले
धनबाद शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आयोडीन बेहद जरूरी है। बचपन में आयोडीन की कमी से बच्चे मंदबुद्धि हो सकते हैं तो बड़े थायराइड के शिकार हो सकते हैं। थायराइड के लगभग 60 फीसद केस ऐसे होते हैं जो केवल आयोडीन की कमी से होते हैं।
धनबाद : शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आयोडीन बेहद जरूरी है। बचपन में आयोडीन की कमी से बच्चे मंदबुद्धि हो सकते हैं, तो बड़े थायराइड के शिकार हो सकते हैं। थायराइड के लगभग 60 फीसद केस ऐसे होते हैं, जो केवल आयोडीन की कमी से होते हैं। धनबाद में भी आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियां देखने को मिल रही हैं। अधिकांश लोग गले व उसकी समस्या से लेकर अस्पताल आते हैं। पीएमसीएच के नाम, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. जीतेंद्र कुमार चौरसिया बताते हैं कि विश्व भर में आयोडीन की कमी से होने वाले रोग प्रमुख समस्या के रूप में सामने आ रहे हैं। विश्व की एक तिहाई आबादी को आयोडीन की कमी से होने वाले रोग से पीड़ित हो सकती है। पीएमसीएच में आने वाले मरीजों को भी इसके लिए जागरूक कराया जाता है। गर्भावस्था के दौरान माताओं को प्रचुर मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें आयोडीन युक्त नमक व अनाज खाने की सलाह दी जाती है। आयोडीन शरीर के लिए जरूरी :
डॉ. चौरसिया बताते हैं कि आयोडीन हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्व हैं। यह थायराइड ग्रंथि को क्रियाशील बनाती है। यह शक्ति का निर्माण करती है, हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करता है। हार्मोन की कमी भी दूर होती है। मन को शांति प्रदान करना व तनाव को कम करने में आयोडीन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। बाल, नाखून, दांत और त्वचा को भी आयोडीन बेहतर स्थिति में रखती है। पीएमसीएच में मरीजों की होती है जांच :
पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए थायराइड जांच की सुविधा है। सरकार यहां पीपीई मोड पर पैथोलॉजी सेवा प्रदान करती है। डॉ. चौरसिया बताते हैं कि थाइराइड की समस्या पहले पकड़ में आ जाती है, तब इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। देरी करने पर सर्जरी की नौबत आ जाती है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार राष्ट्रीय आयोडीन कमी नियंत्रण कार्यक्रम चला रही है। आयोडीन के लिए इन खाद्य पदार्थो का करें सेवन
दूध
अंडा
समुद्री मछली
समुद्री भोजन
मांस
दाल आयोडीन की कमी से होते हैं यह रोग :
थायराइड ग्रंथि का बढ़ना
मंदबुद्धि
मांसपेशियों की जकड़न
शारीरिक और मानसिक विकास का अवरुद्ध होना
गर्भपात, चेहरे पर सूजन
गले में सूजन
नवजात शिशुओं का वजन कम होना,
शिशु का मृत पैदा होना
बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्याएं होना
बौनापन