World Aids Day 2021: एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की कोख बचाने में सिनी बना सेतु

झारखंड की उपराजधानी दुमका में एचआइवी संक्रमितों की संख्या में इजाफा चिंताजनक जरूर है लेकिन इसके बीच एक अच्छी खबर यह कि एचआइवी संक्रमित गर्भधारण करने वाली खास कर ग्रामीण महिलाओं के नवजातों को बचाने में आइसीटीसी और संक्रमितों के बीच सिनी संस्था सेतु बनकर काम कर रही है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 04:57 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 04:57 PM (IST)
World Aids Day 2021: एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की कोख बचाने में सिनी बना सेतु
झारखंड की उपराजधानी दुमका में एचआइवी संक्रमितों की संख्या में इजाफा चिंताजनक जरूर है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

राजीव, दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में एचआइवी संक्रमितों की संख्या में इजाफा चिंताजनक जरूर है लेकिन इसके बीच एक अच्छी खबर यह कि एचआइवी संक्रमित गर्भधारण करने वाली खास कर ग्रामीण महिलाओं के नवजातों को बचाने में आइसीटीसी यानि इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टीट्रमेंट सेंटर और संक्रमितों के बीच सिनी संस्था सेतु बनकर काम कर रही है। नतीजतन जिले में इस वर्ष तकरीबन छह से आठ एचआइवी संक्रमित महिलाओं की कोख से जन्मे नवजातों को एचआइवी संक्रमण के दायरे में निकालने में सफलता मिली है। गर्भधारण के बाद एचआइवी जांच में संक्रमित पाई गई महिलाओं को न सिर्फ सिनी के कार्यकर्ताओं ने आइसीटीसी तक लाने की पहल की बल्कि बच्चों के जन्म के बाद भी जज्जा-बच्च के संक्रमण जांच के लिए भी तत्पर रहे। दरअसल ऐसे मामलों में बच्चों के जन्म लेने के बाद डेढ़ माह से 18 माह के बीच नि सिर्फ इनकी समुचित देखरेख की जाती है बल्कि तय दवाओं का डोज देकर बच्चों को संक्रमण से बाहर निकाला जाता है। जांच की अंतिम प्रक्रिया को पुष्टिकरण जांच के नाम से जाना जाता है। अंतिम जांच में जब रिपोर्ट नाकारात्मक आती है तब जाकर बच्चे को संक्रमण से मुक्त होने की पुष्टि की जाती है। वर्ष 2021 में दुमका जिले के विभिन्न प्रखंडों के अलावा शहरी क्षेत्र की तकरीबन छह से आठ महिलाएं गर्भधारण के बाद एचआइवी संक्रमित मिली थीं जिसके बाद इनका समुचित इलाज शुरू किया गया।

दुमका में एचआइवी संक्रमितों की संख्या में इजाफा

वर्ष 2021 में बीते 2020 की तुलना में एचआइवी संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। खास बात यह कि चिह्नित मरीजों में वैसे युवाओं की संख्या सर्वाधिक है जिनकी उम्र 20 से 25 वर्ष है। बीते वर्ष दुमका में 20 से 25 एचआइवी संक्रमित चिह्नित हुए थे लेकिन इस वर्ष इनकी संख्या में तकरीबन दो गुणा इजाफा हुआ है।

संक्रमितों की संख्या में आधी आबादी व पुरुषों की संख्या करीब-करीब बराबर है लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि इस संख्या में भी युवाओं की संख्या 50 फीसद है जो खतरनाक संकेत है।

चिह्नित मरीजों में माइग्रेंट के अलाव दुमका के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के मरीज भी शामिल हैं। जबकि पूर्व से एड्स संक्रमण से चिह्नित महिला भी एक महिला भी गर्भवती पाई गई है। जबकि वर्ष 2021 में ही एचआइवी से संक्रमित एक मरीज की मौत भी हुई है। बहरहाल, दुमका में एचआइवी संक्रमण की गति पर ब्रेक लगाने के लिए आइसीटीसी के अलावा एआरटी यानि एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी सेंटर की भी स्थापना की गई है जिसके कारण अब मरीजों को इलाज के लिए बाहर नहीं भेजा जाता है और दवाएं भी सहजता से उपलब्ध हो जाती है। यौन रोग संक्रमित मरीजों के बीच दवा नाको से उपलब्ध दवाओं के वितरण के लिए खासतौर पर एएनएम प्रमिला यादव को प्रतिनियुक्त किया गया है। वर्ष 2021 में नवंबर माह तक दुमका में तकरीबन 5000 मरीजों का एचआइवी जांच किया गया है जिसमें 50 से 60 के बीच संक्रमित पाए गए हैं जिसमें पांच से आठ गर्भवती महिलाएं थीं।

वर्जन

सही समय पर जांच और दवा लेने की सूरत में किसी भी संक्रमित मरीज की मौत एचआइवी से नहीं होती है। संक्रमण की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों की चपेट में आने से ही संक्रमित मरीज की मौत होती है। जरूरत है कि खासकर युवा वर्ग एचआइवी संक्रमण को लेकर जागरूक हों और विशेष सावधानी बरतें।

संगीता पांडेय, काउंसलर,आइसीटीसी

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