World AIDS Day 2021: सावधान, गलती करेंगे तो जीवन भर भुगतेंगे आपके बच्चे

World AIDS Day 2021 दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। WHO ने सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की थी।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 09:13 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 09:27 AM (IST)
World AIDS Day 2021: सावधान, गलती करेंगे तो जीवन भर भुगतेंगे आपके बच्चे
थीम आधारित विश्व एड्स दिवस ( प्रतीकात्मक फोटो)।

बीके पांडेय, बोकारो। एचआइवी पाजिटिव होने के बाद लापरवाही बरतने पर ताउम्र बच्चों को सजा भुगतनी पड़ सकती है। नौनिहाल को किसी संक्रमित को ही जीवन साथी बनाना होगा। जीवन भर दवा का सेवन करना पड़ेगा। गर्भ धारण करने के दो महीने बाद एचआइवी टेस्ट करा लिया तो होने वाले बच्चे का भविष्य सुरक्षित रख सकते हैैं। वैसे, बोकारो जिला में एचआइवी के आंकड़े डराने वाले हैैं। यहां हर माह पांच से छह नये मरीज मिल रहे हैैं। सभी मरीज सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर में पंजीकृत भी नहीं है। एक आंकड़े के मुताबिक बोकारो जिले में लगभग एक हजार एचआइवी पॉजिटिव लोग हैं। इनमें से लगभग 550 लोग एआरटी सेंटर में पंजीकृत हैं जो दवा का नियमित सेवन कर रहे हैैं।

माता-पिता की गलती का शिकार हो रहे बच्चे

बोकारो में एक से 20 वर्ष के बच्चे और युवा भी एचआइवी पाजिटिव हो चुके हैैं। इनमें 40 प्रतिशत लड़कियां है। जस बच्चे ने अभी मां का दूध भी नहीं छोड़ा है, वो भी संक्रमण का शिकार हो चुका है। उसे पूरा जीवन एचआइवी संक्रमित के रूप में जीना होगा। इसके लिए माता-पिता जवाबदेह हैैं जिन्होंने प्रसव पूर्व या प्रसव के दौरान अपना एचआइवी टेस्ट नहीं कराया। जन्म हुआ तो स्तनपान कराकर बच्चे को संक्रमित कर दिया। विशेषज्ञ बताते हैैं कि माता-पिता एचआइवी पाजिटिव हैैं जो प्रसव के दौरान उन्हें दवा का सेवन करना चाहिए। प्रसव के एक माह के अंदर बच्चे को एक सिरप दिया जाएगा जिससे बच्चा एचआइवी नेगेटिव हो जाएगा।

पढऩे के लिए बाहर जाने वाले युवा ही हो रहें संक्रमित

बोकारो में पहले बाहर काम करने वाले एचआइवी संक्रमित मिलते थे। खतरनाक बात यह है कि अब बाहर जाकर पढऩे वाले युवा भी एचआइवी पाजिटिव हो रहे हैैं। जिले में ऐसे युवकों की संख्या एक दर्जन से अधिक हो चुकी है। स्वाभाविक तौर पर यह अभिभावकों के लिए चिंता का कारण है। आंकड़ों के मुताबिक 21 वर्ष से 40 वर्ष तक के उम्र के मरीजों में 18 प्रतिशत महिला व 53 प्रतिशत पुरुष हैं।

रक्तदान करे तो एचआइवी की खुद हो जाएगी जांच

रक्तदान करने पर पांच तरह की जांच की जाती है। एचआइवी, ब्लड ग्रुप, रक्तचाप, मधुमेह, वीडीआरएल तथा हेपेटाइटिस की जांच करने के बाद ही रक्त को संरक्षित रखने की दिशा में प्रक्रिया शुरू की जाती है। सदर अस्पताल और रेडक्रास सोसाइटी में स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे आते हैैं तो और बेहतर है। रक्त में एचआइवी पाजिटिव के लक्षण दिखते हैैं तो तुरंत रक्तदाता को सूचना दी जाती है। इलाज भी शुरू किया जाता है।

बोकारो का आंकड़ा महिला मरीज : 34 फीसद पुरुष मरीज : 66 प्रतिशत एक से 20 वर्ष की महिला मरीज : 4 फीसद एक से 20 वर्ष के पुरूष मरीज : 6 प्रतिशत 41 वर्ष से अधिक उम्र की महिला : 15 फीसद 41 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष : 13 प्रतिशत 21 से 40 वर्ष की महिला : 18 फीसद 21 से 40 वर्ष के पुरूष : 44 प्रतिशत

एड्स लाइलाज है। इससे बचाव का एकमात्र उपाय जागरूकता है। जो महिलाएं प्रसव धारण कर रही है, उन्हें ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। युवाओं से अपील है कि वे एड्स की भयावहता को समझें। आपकी गलती आपके पूरे परिवार व आने वाले पीढ़ी को संकट में डाल सकता है।

-डाक्टर एनपी सिंह, प्रभारी एनसीडी सेल

क्यों मनाया जाता एड्स दिवस

दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। WHO ने सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की थी। एड्स की जागरूकता अभियान से जुड़े जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम से ही इसकी शुरुआत की गई थी। hiv.org की वेबसाइट के अनुसार, विश्व एड्स दिवस के लिए इस वर्ष की थीम है- असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें। साल 2008 के बाद, प्रत्येक वर्ष की थीम को विश्व एड्स अभियान (डब्ल्यूएसी) की ग्लोबल स्टीयरिंग कमेटी द्वारा चुना जाता है।

एड्स दिवस का उद्देश्य

वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 37 मिलियन से ज्यादा लोग एचआइवी के शिकार हो चुके हैं जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 3 मिलियन के आसपास है। 

क्या होता है एचआइवी

एचआइवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है। वहीं लोग इसे आम बोलचाल में एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। इसमें जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता। 

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