अलकुसा डिपो में मजदूरों की हुई जीत, टला संघर्ष Dhanbad News
जिला के लिए सबसे विवादस्पद अलकुसा डिपो में संघर्ष की बनी स्थिति समाप्त हो गई है। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी कोलियरी आउटसोर्सिंग अथवा डिपो में किसी व्यक्ति विशेष की पहल नहीं बल्कि मजदूरों के विवेक ने शासन-प्रशासन के काम का आसान बना दिया।
धनबाद, जेएनएन : जिला के लिए सबसे विवादस्पद अलकुसा डिपो में संघर्ष की बनी स्थिति समाप्त हो गई है। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी कोलियरी, आउटसोर्सिंग अथवा डिपो में किसी व्यक्ति विशेष की पहल नहीं बल्कि मजदूरों के विवेक ने शासन-प्रशासन के काम का आसान बना दिया। मजदूर एक मत हुए और किसी दल अथवा संगठन विशेष को छोड़ गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्वयं ही राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर संभावित संघर्ष को विराम दे दिया।
यह है मामला : अलकुसा डिपो में इन दिनों दो गुटों में वर्चस्व को लेकर द्वंद की स्थिति बनी हुई है। एक ओर भाजपा के पूर्व विधायक जेल में बंद संजीव सिंह की धर्मपत्नी रागिनी सिंह हैं तो दूसरी ओर जनता मजदूर संघ छोड़ झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन में शामिल हुए बंटी सिंह हैं। इस संघर्ष से पूर्व अलकुसा के आटसोर्सिंग में वर्चस्व को लेकर भाजपा नेता सतीश सिंह की गोली मारकर हत्या हो चुकी है। इस हत्या के बाद से यहां इन दो गुटों में संघर्ष शुरू हुआ था। इस संघर्ष को देखते हुए एसडीएम धनबाद ने निषेधाज्ञा लगा दी है। जिसकी अवधी 30 जनवरी को समाप्त हो रही है। ऐसे में एक बार फिर से वर्चस्व को लेकर संघर्ष की संभावना बन रही है।
मजदूरों पर टिका फैसला : अलकुसा डिपो में काम करने वाले मजदूरों पर इस संघर्ष को रोकने की जिम्मेवारी है। ऐसे में यहां के असंगठित मजदूरों का फैसला लेना है। मजदूर रागिनी सिंह की ओर जाते हैं या बंटी सिंह की तरफ यह वक्त तय करेगा, लेकिन यहां काम करने वाली आउटर्सासिंग कंपनी का झुकाव भी मजदूरों के इस फैसले पर अपना प्रभाव दिखा सकता है। झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के बंटी सिंह ने कहा कि वे मजदूरों के फैसले के साथ हैं। गणतंत्र दिवस पर मजदूरों ने जो फैसला लिया उन्होंने उसका सम्मान किया है। आगे भी इनका जो भी फैसला होगा वे उसके साथ हैं। हालांकि बंटी सिंह ने चेतावनी दी कि यदि मजदूरों पर किसी संगठन विशेष ने दबाव बनाकर काम करना चाहा तो वे भी पीछे नहीं हटेंगे।