आखिर कब खत्म होगा बेलगढि़या में चल रहा रैयतों का धरना
बेलगढि़या मौजा में तीन दशक पूर्व मुकुंदा परियोजना के लिए बीसीसीएल की ओर से अधिग्रहित की गई सैकड़ों रैयतों की जमीन को वापस करने की मांग को लेकर लगभग तीन माह से धरना आंदोलन चलाया जा रहा है।
गोविद नाथ शर्मा, झरिया : बेलगढि़या मौजा में तीन दशक पूर्व मुकुंदा परियोजना के लिए बीसीसीएल की ओर से अधिग्रहित की गई सैकड़ों रैयतों की जमीन को वापस करने की मांग को लेकर लगभग तीन माह से धरना आंदोलन चलाया जा रहा है। तीन माह पूर्व यहां जेआरडीए की ओर से चिह्नित अधिग्रहित जमीन पर अस्पताल व विद्यालय भवन निर्माण का विरोध कर गोलमारा व आसपास गांव के रैयतों का धरना 86 वें दिन भी जारी है। मुकुंदा परियोजना भूमि वापसी संघर्ष समिति की ओर से जारी धरना आंदोलन को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन व बीसीसीएल प्रबंधन तनिक गंभीर नहीं है। इससे रैयतों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। धरना में युद्धेश्वर सिंह, अतुल सिंह, सुभाष सिंह चौधरी, जीत लाल सिंह, रमेश महतो, निर्मल रजवार, डोमन साहू, विकास सिंह चौधरी, जयराम मंडल, मणिशंकर सिंह, वीरेंद्र सिंह, टिकू सिंह, जन्मेजय सिंह, प्रवीण सिंह, मौजी राम सिंह, किशोर सिंह आदि लगातार धरना दे रहे हैं। क्या कहते हैं आंदोलनरत रैयत :
मुकुंदा परियोजना भूमि वापसी संघर्ष समिति के संयोजक युद्धेश्वर सिंह का कहना है कि मुकुंदा परियोजना चलाने के लिए बीसीसीएल की ओर से तीन दशक पूर्व सैकड़ों एकड़ जमीन बेलगढि़या मौजा में अधिग्रहित की गई थी। परियोजना नहीं चली। वर्षों से जमीन बेकार पड़ी हुई है। अब इन जमीनों को बीसीसीएल प्रबंधन को वापस करना होगा। जब तक भूमि वापस नहीं किया जाएगा आंदोलन जारी रहेगा। 1985-86 में हुआ था 1759 एकड़ जमीन का अधिग्रहण :
समिति के लोगों ने कहा कि बेलगढि़या मौजा के प्लाट नंबर 516, 518, 520 आदि में 1759 एकड़ जमीन का अधिग्रहण बीसीसीएल की ओर से किया गया था। प्रबंधन ने 978 लोगों को नौकरी देने का वादा किया था। मात्र 309 लोगों को ही नौकरी दी। 669 रैयतों को अभी तक नियोजन नहीं मिला है। सांसद, विधायक कर चुके हैं रैयतों के आंदोलन का समर्थन :
बेलगढि़या में रैयतों के धरना आंदोलन का समर्थन सांसद पीएन सिंह, विधायक ढुलू महतो, मथुरा महतो, राज सिन्हा, विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी, पूर्व विधायक आनंद महतो, झामुमो के जिला अध्यक्ष रमेश टुडू आदि कर चुके हैं। सभी ने प्रशासन व प्रबंधन से रैयतों की मांगों को मानकर धरना खत्म कराने की मांग भी कर चुके हैं। लेकिन प्रशासन व प्रबंधन गंभीर नहीं है।