Guru Nanak Jayanti 2021: गुरु पर्व की लख-लख बधाइयां, पढ़ें-गुरु नानक देव जी के पांच अनमोल वचन

Guru Nanak Jayanti 2021 प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की जयंती मनाई जाती है। वे सर्वधर्म सद्भाव के प्रेरक माने जाते हैं। उनका व्यक्तित्व दार्शनिक योगी गृहस्थ धर्म-सुधारक समाज सुधारक देशभक्त जैसे गुणों को समेटे हुआ है।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 18 Nov 2021 12:42 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 08:11 AM (IST)
Guru Nanak Jayanti 2021: गुरु पर्व की लख-लख बधाइयां, पढ़ें-गुरु नानक देव जी के पांच अनमोल वचन
गुरु नानक देव जी का संदेश-ईश्वर एक है ( प्रतीकात्मक फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को पाकिस्तान में स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। गुरु पर्व पर सभी गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन होता है और प्रभात फ़ेरियां भी निकाली जाती हैं। इस बार गुरुनानक जयंती 19 नवंबर को मनाई जाएगी। गुरुनानक जयंती को हम कई अन्य नाम से भी जानते हैं। जैसे इस पर्व को हम प्रकाश पर्व, गुरु पर्व, गुरु पूरब भी कहते हैं। धनबाद में गुरु पर्व की तैयारी जोरों पर है। कोविड गाइडलाइन के नियमों का पालन करते हुए गुरु पर्व मनाया जाएगा।

गुरु नानक देव जी ने रखी सिख संप्रदाय की नींव

कार्तिक पूर्णिमा को जन्में गुरु नानक देव सर्वधर्म सद्भाव की प्रेरक मिसाल माने जाते हैं। उनका व्यक्तित्व दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म-सुधारक, समाज सुधारक, देशभक्त जैसे सभी गुणों को समेटे हुआ है। गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अंधविश्वास, घृणा, भेदभाव को दूर करने के लिए सिख संप्रदाय की नींव रखी। उन्होंने समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के लिए लंगर परंपरा की शुरुआत की थी। इसमें सभी जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। गुरु नानक देव जी ने 'निर्गुण उपासना' पर जोर दिया और उसका ही प्रचार-प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा नहीं करते थे और न ही मानते थे। ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है, इसमें ही नानक देव का पूरा विश्वास था। गुरुनानक जयंती पर अनेक उत्सव आयोजित होते हैं, इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

इस पावन अवसर पर तीन दिन का अखण्ड पाठ चलता है। सिक्खों की धर्म पुस्तक 'गुरु ग्रंथ साहिब' का पूरा पाठ बिना रुके किया जाता है। मुख्य कार्यक्रम के दिन गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजाया जाता है। एक पालकी पर गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर जुलूस के रूप में पूरे गांव या नगर में घुमाया जाता है। इस शोभायात्रा का 'पंज प्यारे' प्रतिनिधित्व करते हैं। निशान साहब, अथवा उनके तत्व को प्रस्तुत करने वाला सिक्ख ध्वज भी साथ में चलता है। पूरी शोभायात्रा के दौरान गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।

गुरुनानक देव जी के पांच अनमोल वचन

ईश्वर एक है - गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का उपदेश दिया इसका मतलब है कि ईश्वर एक है। वो हर जगह विद्यमान हैं। गुरु नानक देव कहते हैं कि सबके साथ प्रेम और सम्मान के साथ रहना चाहिए। पांच बुराई - गुरु नानक देव जी ने जिन पांच बुराइयों को सूचीबद्ध किया, वे थे अहंकार, क्रोध , लोभ , मोह और वासना (काम)। जब कोई इन पांच बुराइयों से छुटकारा पाता है, तो वह भगवान के करीब हो जाता है। समानता - गुरु नानक देव जी ने कभी भी जाति, धर्म, नस्ल, रंग या आर्थिक स्थिति के आधार पर इंसानों में भेद नहीं किया। उन्होंने आसानी से अपना भोजन और सामान जरूरतमंदों के साथ साझा किया और कोई भी जरूरतमंद इंसान कभी भी गुरु नानक जी के घर से खाली हाथ नहीं गया। इसलिए हर किसी को उसका अधिकार सम्मानपूर्वक देना चाहिए। गरीब और जरूरतमंदों की हर संभव मदद करनी चाहिए।  महिलाओं का सम्मान करें - हम आधुनिक समय में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को ध्यान में रखते हुए गुरु नानक की शिक्षाओं को भूल गए हैं। उन्होंने अपने एक श्लोक में भी इस सिद्धांत का उल्लेख किया है। महिलाओं का आदर-सम्मान करना चाहिए। उन्होंने स्त्री और पुरुष में किसी प्रकार के भेद को नहीं माना।  सेवा - नि:स्वार्थ सेवा - सेवा का अर्थ है निस्वार्थ सेवा, बिना किसी लालच या व्यक्तिगत लाभ के दूसरे की सेवा करना। गुरु नानक जी के अनुसार, सेवा असीम आध्यात्मिक संतुष्टि का स्रोत थी। जब कोई लाभ कमाने के उद्देश्य के बिना सेवा में लिप्त होता है, तो वह अपने उच्च अस्तित्व के साथ जुड़ जाता है और मानसिक शांति प्राप्त करता है। 

गुरुद्वारों में सजाया जाएगा विशेष दीवान

बैंक मोड़ बड़ा गुरुद्वारा में शुक्रवार को श्री गुरुनानक देव जी महाराज का 552वां प्रकाशपर्व कोविड की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए श्रद्धापूर्वक एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसकी तैयारियों को लेकर गुरुद्वारा साहिब में प्रबंधक कमेटी की बैठक हुई। महासचिव मनजीत सिंह पाथरडीह ने बताया कि इस वर्ष प्रकाशोत्सव के अवसर पर होने वाले नगर कीर्तन और अन्य सभी कार्यक्रम इस वर्ष नहीं होंगे। पिछले वर्ष भी नगर कीर्तन नहीं निकला था। धनबाद में 1960 से गुरुपर्व के अवसर पर नगर कीर्तन निकलता रहा है। गुरुपर्व पर शेष कार्यक्रम होंगे। शुक्रवार को सुबह छह से दस बजे तक विशेष दीवान सजाया जाएगा। इसमें गुरु नानक देव जी की बाणी का शबद गायन होगा। गुरुद्वारा साहिब के रागी जत्थे शबद कीर्तन कर संगतों को निहाल करेंगे।

सहज पाठ के बाद होगा लंगर वितरण

सहज पाठ की समाप्ति के उपरांत गुरु का लंगर वितरण किया जाएगा। 10 बजे के बाद आने वाली संगत के बीच प्रसाद का वितरण शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए रात नौ बजे तक किया जाएगा। गुरुद्वारे को लाइट सज्जा से बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया है। यह देखने वाला है। गुरुवार को सिख संगत अपने घरों में दीप भी जलाएंगे। इस दौरान आतिशबाजी भी होगी। इस अवसर पर रक्तदान शिविर भी लगाया जाएगा। कार्यक्रम के आयोजन में प्रधान तीरथ सिंह, दिलजोन सिंह, दविंदर सिंह गिल, गुरजीत सिंह, सतपाल सिंह ब्रोका, तेजपाल सिंह, जगजीत सिंह, राजिंदर सिंह एवं इंदरजीत सिंह का विशेष योगदान है।

जोड़ाफाटक गुरुद्वारा में भी कार्यक्रम

जोड़ाफाटक गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से 21 नवंबर को गुरुपर्व के अवसर पर विशेष दीवान सजाया जाएगा। भाई वरिंदर सिंह अमृतसर वाले शबद-कीर्तन करेंगे। गुरुद्वारा साहिब के प्रधान लाल सिंह ने बताया कि हर दिन प्रभातफेरी का आयोजन किया जा रहा है। यह 19 नवंबर तक चलेगा।

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