Weekly News Roundup Dhanbad: सांसद के भतीजे की गाड़ी उड़ा रही धुंआ, जानें विधायक की परेशानी

Weekly News Roundup Dhanbad प्रबंधन के निर्देश को पलीता लगाना तो कोई बीसीसीएल अधिकारियों से सीखे। कर्ज लेकर वेतन भुगतान कर रही कंपनी के उच्च प्रबंधन ने आर्थिक संकट को देखते हुए संडे ड्यूटी ओवरटाइम पर रोक लगा दी। एलटीसी एलएलटीसी को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 02:14 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 02:14 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: सांसद के भतीजे की गाड़ी उड़ा रही धुंआ, जानें विधायक की परेशानी
देश के प्रदूषिण शहरों में धनबाद का नाम शुमार है।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad यह अंदर की बात है। सिंदरी विधायक बरवाअड्डा आ रहे थे। रास्ते में एक ट्रक धूल उड़ाता जा रहा था। कोयले का छोटा सा टुकड़ा उनके वाहन के पास गिरा। विधायक ने गाड़ी रुकवाई। चालक ने माफी मांगने के बदले अकड़ कर कहा- भतीजे की गाड़ी है। किसका भतीजा? जवाब मिला- सांसद का। विधायक पसोपेश में पड़ गए। झेंपते हुए फिर भी ढक कर कोयला ले जाने को कह दिया, लेकिन इसे भुला नहीं पाए। जब वे पानी के मुद्दे पर बीसीसीएल डीपी से मिलने पहुंचे तो दर्द छलक आया। बोल बैठे- उनके विधानसभा क्षेत्र का बलियापुर इन दिनों कोयला ढोने वाले ट्रकों का गलियारा बना हुआ है। अब से बिना ढके कोयला ले गए तो रुकवा देंगे। प्रदूषण के कारण सड़क किनारे के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। प्रबंधन ने भी आश्वासन का मलहम लगाने में देर नहीं की। चलिए, देखते हैं!

कॉस्ट कटिंग को पलीता

प्रबंधन के निर्देश को पलीता लगाना तो कोई बीसीसीएल अधिकारियों से सीखे। कर्ज लेकर वेतन भुगतान कर रही कंपनी के उच्च प्रबंधन ने आर्थिक संकट को देखते हुए संडे ड्यूटी, ओवरटाइम पर रोक लगा दी। एलटीसी, एलएलटीसी को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया, मगर इससे क्षेत्रीय प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ा। मौका मिलते ही अपनी लीला शुरू कर दी। ताजा मामला लोदना क्षेत्र में पकड़ में आया है। ऐसी बंद खदानें जहां कोई ड्यूटी पर नहीं, वहां भी मजे से भत्ता उठाया जा रहा है। प्रबंधन से इसकी शिकायत की गई तो मामला उजागर हुआ। दरअसल बंद खदान में दो ही शिफ्ट में पर्यवेक्षक नियुक्त हैं जबकि भत्ता तीसरी पाली का भी लिया जा रहा था। नरेंद्र ङ्क्षसह नामक कर्मी तीन साल से 16,000 रुपये प्रति माह उठा रहा था। पता चला है कि ऐसा सभी बंद खदानों में किया जा रहा है।

इनका बोनस कहां गया

कोल इंडिया ने प्रत्येक कर्मी के लिए 68,500 रुपये बोनस की घोषणा की। शर्त ये लगा दी कि यह तीन किस्तों में दी जाएगी। अब कर्मचारी इसके लिए परेशान हैं। इधर इस बोनस के जो सबसे बड़े हकदार हैं उनकी कहीं चर्चा ही नहीं हो रही। ये हैं आउटसोर्सिंग कंपनियों के कर्मचारी। इसके अलावा बीसीसीएल की कई विभागीय खदानों में भी ठेका कर्मचारियों द्वारा काम होता है। इन मजदूरों के लिए कोई हमदर्द नेता आवाज नहीं उठा रहा। सोमवार को केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक में भी श्रमिक नेताओं का मुख्य मुद्दा था कि नियमित कर्मचारियों को बोनस एकमुश्त मिले। ठेका मजदूरों का क्या है। वे तो ठेकेदार के खिलाफ जा नहीं सकते। इस मामले में कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से अनुषंगी कंपनियों को ठेका मजदूरों को भी बोनस दिलवाने की सलाह नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है। कोई सुन रहा है?

आंदोलन करे कौन

आरसीएमएस महामंत्री परेशान हैं। वजह है कि अब आंदोलन करने वाले श्रमिक मिल नहीं रहे। इतने मुद्दे हैं। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र का बेड़ा गर्क किए है। बिना अनुमति कर्मचारियों का वेतन काट पीएम केयर्स में लिया जा रहा। बोनस देकर लीव इनकैशमेंट पर रोक लगायी जा रही, 50 की उम्र में सेवानिवृत्ति दी जा रही, निजी क्षेत्र को कोल ब्लॉक बेचा जा रहा, मगर कोई आंदोलन नहीं। उनका दर्द है कि बीसीसीएल में अधिकांश मजदूर अब वे हैं जो दूसरी पीढ़ी के हैं। या तो जमीन के बदले नौकरी है या अनुकंपा के आधार पर। सीधी नियुक्ति हो नहीं रही। ऐसे सभी लोगों के पास पिता की कमाई बैंक खाते में पड़ी है। बीसीसीएल से वेतन मिल ही रहा है। गरीबी का दर्द उन्हें पता ही नहीं। फिर आंदोलन करें क्यों? ठेका मजदूरों को नौकरी बचाने से फुर्सत नहीं। माहौल ऐसा हो तो क्या हो सकता है?

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