Weekly News Roundup Dhanbad : पंचायत राज पदाधिकारी की कुर्सी पर बैठा भूत, अब काैन बठैगा
पारा शिक्षकों का भी कष्ट अपरंपार है। न जाने कितने संघर्ष किए। लाठियां खाईं क्या-क्या गिनाएं और बताएं लेकिन हौसला टूटा नहीं। मेहनत रंग लाई और अब सरकार उन पर कृपा बरसाने जा रही है। मंत्री जी ने संकेत भी दे दिया है कि दिवाली मनाने को तैयार हो जाएं।
धनबाद [ आशीष झा ]। Weekly News Roundup Dhanbad टुंडी प्रखंड कार्यालय के कर्मचारियों में भय है और दुख भी। दुख इसलिए कि दो अधिकारी बीमारी से काल कवलित हो गए। भय इसलिए कि कुछ लोग इसे कुर्सी का भूत बता रहे। टुंडी प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी वाहिद हुसैन बने। कोरोना काल तो है ही। नौ अगस्त को उनकी मौत हो गई। इसके बाद पंचायत सचिव भोला मांझी को प्रभार दिया गया। उनकी मौत नौ सितंबर को हो गई। अब नौ के चक्कर को लेकर प्रखंड में खूब खुसुर-फुसुर हो रही है। विज्ञान के युग में भी अंधविश्वास हावी है। कोई प्रभार लेना नहीं चाह रहा क्योंकि कुर्सी का खौफ हावी है। मजबूरी में किसी न किसी को तो प्रभार लेना ही होगा, सो बीच का रास्ता निकालते हुए नौ अक्टूबर बीतने का इंतजार हो रहा है। जिस कुर्सी के लिए सब लालायित रहते हैं, उसके प्रति ये बर्ताव- समय का खेल है।
बिना जड़ का पौधा देखा है
हर कोई कभी न कभी अपने हाथों से पौधा जरूर लगाता है। यह तभी लगता है जब उसमें जड़ हो, मगर यहां तो सैकड़ों पौधे लगा दिए गए जिनमें जड़ थी ही नहीं। पूर्वी टुंडी प्रखंड इसका ताजा उदाहरण है। पौधारोपण अभियान धनबाद जिले में जोर-शोर से चलाया गया। बागवानी योजना के तहत लाखों पौधे खरीदने का ऑर्डर हुआ, समय से मिल गया, लग भी गया। कुछ ही दिन बाद जब सैकड़ों पौधे सूखने लगे तो असली माजरा समझ में आने लगा। असल में हड़बड़ी में ऑर्डर पूरा करने के चक्कर में बिना जड़वाले पौधे ही दे दिए गए, लेकिन किसी का ध्यान नहीं गया। जब गड़बड़ी पकड़ में आई तो हायतौबा मचने लगी। जांच भी हुई, लेकिन हुआ वही जो हर सरकारी काम में होता है। गलती की जड़ तक भी अधिकारी पहुंचे, लेकिन बिल्ली के गले में घंटी आखिर बांधे तो कौन।
लाठी खा ली, अब लड्डू खाएंगे
पारा शिक्षकों का भी कष्ट अपरंपार है। न जाने कितने संघर्ष किए। लाठियां खाईं, क्या-क्या गिनाएं और बताएं, लेकिन हौसला टूटा नहीं। मेहनत रंग लाई और अब सरकार उन पर कृपा बरसाने जा रही है। मंत्री जी ने संकेत भी दे दिया है कि पारा शिक्षक दिवाली मनाने को तैयार हो जाएं। हालांकि आगे क्या होगा, ये तो समय ही जाने। फलाफल कुछ भी हो, लेकिन इतना भरोसा तो किसी सरकार ने नहीं दिया था। स्कूल में बच्चों को पीटने तक की मनाही है, लेकिन उन्हेंं पढ़ानेवाले गुरुजी सबके सामने लाठी खाते रहे। कई लोगों ने जान भी गंवाई। इतने दिन गांव-गिरांव के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हुए दिन फांकाकशी में गुजारे, अब वक्त फिरनेवाला है। अंदर ही अंदर व्यग्रता है, लेकिन खुशी भी है कि चलो आंदोलन का फल मिला। कुछ अच्छा ही होगा। इस बार दिवाली पर लाठी नहीं, लड्डू खाएंगे।
ऑनलाइन-ऑफलाइन में जनता बेदम
आजकल ऑनलाइन और ऑफलाइन के चक्कर में लोगों का सिर चकरा रहा है। कानून के फेर में ऐसा फंस रहे है कि कोई रास्ता सूझ ही नहीं रहा। ताजा मामला प्रदूषण का है। इसमें पहले ऑफलाइन प्रमाण पत्र मिलता था, जिस पर अब रोक लगा दी गई है। काफी लोगों को यह बात अभी मालूम नहीं। इसका फायदा जांचवाले भी उठा रहे हैं। फीस लेकर ऑफलाइन प्रमाण पत्र जारी कर दे रहे। सबसे ज्यादा परेशानी झारखंड से सटे बंगाल बॉर्डर पर हो रही है। अपने राज्य में तो सेटिंग-गेटिंग से काम चल जाता है, लेकिन वहां की पुलिस इधर की गाड़ी पर कोई मुरौव्वत नहीं करती। जांच के दौरान ऑनलाइन चेक किया, नंबर दिख गया तो ठीक, नहीं तो कागज दिखाते रहिए, बंगाल पुलिस बिना जुर्माना लिए छोड़ेगी नहीं। अब आप प्रमाण पत्र जारी करनेवाले को लाख कोसें, कोई फायदा नहीं। जेब ढीली होनी तय है।