मैरानवाटांड़ फिटर प्लांट में कई हफ्तों से जलापूर्ति ठप; लॉकडाउन में पानी के लिए मचा हlहाकार Dhanbad News
बराकर नदी से पाइपलाइन के जरिए घरों तक पहुंचने के लिए मैरानवाटांड़ गांव बनाया गया जलापूर्ति प्लांट से पिछले डेढ़ माह से ठप है। जलापूर्ति बंद रहने से ग्रामीणों को परेशानी उठानी पड़ी रही है । मैरानवाटांड़ गांव में लगभग 16 करोड़ की लागत से जलापूर्ति प्लांट लगाया गया है।
पूर्वी टुंडी, जेएनएन: बराकर नदी से पाइपलाइन के जरिए घरों तक पहुंचने के लिए मैरानवाटांड़ गांव बनाया गया जलापूर्ति प्लांट से पिछले डेढ़ माह से ठप है। जलापूर्ति बंद रहने से ग्रामीणों को परेशानी उठानी पड़ी रही है । मैरानवाटांड़ गांव में बराकर नदी के पानी को फिल्टर कर पेयजल योग्य बनाने के लिए लगभग 16 करोड़ की लागत से जलापूर्ति प्लांट लगाया गया है।
इस प्लांट में बराकर नदी का पानी कंसजोर घाट के जरिए पाइपलाइन द्वारा लाया जाता है। मैरानवाटांढ़ में पानी को फिल्टर कर कुरकूटांड़ व हाथसरा में बनाई गई दो जलमीनारों तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद दोनों जलमीनार से विभिन्न गांव में पाइपलाइन के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति की जाती है।
परंतु ग्रामीणों का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से नलों से पानी घरों में नही पहुंच रहा है। मैरानवाटांड़ के कनक कुमार दां, पूरण कुमार दां, आस्तिक कुमार चार, मुकेश कुमार दां का कहना है कि गांव में पिछले डेढ़ महीने से पेयजलापूर्ति नहीं की गई है जिस कारण इस भरी गर्मी में पेयजल के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इस कोरोना काल में कोई किसी को एक लोटा पानी भी नहीं देना चाहता जिस कारण पेयजल की समस्या और अधिक है। वहीं पेयजल विभाग के कनीय अभियंता राम भूषण सिंह ने बताया कि प्लांट का निर्माण पूरा कर उसे ग्राम संगठन के सुपूर्द कर दिया गया है। दो वर्ष से पेयजलापूर्ति ठीक चल रही थी। अभी बंद होने की सूचना उन्हें किसी ने नहीं दी है। जबकि मुखिया बिपिन दां ने बताया कि बराकर नदी में पानी सूख जाने के कारण प्लांट में पानी नहीं आ पा रहा है इस कारण यह समस्या है। इसके समाधान के लिए उन्होंने विभाग को बराकर नदी में एक चैक डैम बनाने का सुझाव दिया है।
वहीं कांसजोर गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बराकर नदी का पानी भरी गर्मी के समय सूख गया था। परंतु पिछले दिनों हुई कई दिनों की बारिश व ऊपर के डैम से पानी छोड़े जाने के बाद अभी नदी में पानी भरा है।