खुदिया कोलियरी की अंडरग्राउंड माइन में अचानक भरने लगा पानी तो याद आया चासनाला का भयावह मंजर

ईसीएल मुगमा एरिया अंतर्गत खुदिया कोलियरी क्वारडीह सेक्शन भूमिगत खदान में चासनाला खान दुर्घटना की पुनरावृत्ति होते होते बची। शुक्र है कि शुक्रवार की द्वितीय पाली में कार्य कर रहे मजदूरों को खदान में पानी रिसाव होने व पानी भरने की जानकारी समय पर मिलने से सभी सुरक्षित निकल गए।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 12:34 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 12:34 PM (IST)
खुदिया कोलियरी की अंडरग्राउंड माइन में अचानक भरने लगा पानी तो याद आया चासनाला का भयावह मंजर
इस संबंध में कोलियरी प्रबंधन कुछ बताने से परहेज कर रहा है।

जेएनएन, मैथन/ निरसा: ईसीएल मुगमा एरिया अंतर्गत खुदिया कोलियरी क्वारडीह सेक्शन भूमिगत खदान में चासनाला खान दुर्घटना की पुनरावृत्ति होते होते बची। शुक्र है कि शुक्रवार की द्वितीय पाली में कार्य कर रहे मजदूरों को खदान में पानी रिसाव होने व पानी भरने की जानकारी समय पर मिल जाने से सभी सुरक्षित निकल गए। माइनिंग सरदार व मजदूर मेहनत कर एसडीएल मशीन एवं एक मोटर पंप सेट को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में कामयाब रहे। बावजूद एक मोटर पंप पानी में डूब गया।

मामले की जानकारी कोलियरी के अधिकारियों में अपरा तफरी मच गई। शनिवार की सुबह क्षेत्रीय सेफ्टी मैनेजर सह उप महाप्रबंधक अजय शर्मा, लखीमाता कोलियरी समूह के अभिकर्ता शैलेंद्र कुमार, कोलियरी प्रबंधक प्रवीण मिश्रा ने अपनी टीम के साथ खदान के नक्शे का अवलोकन किया। उसके बाद खदान के प्रवेश कर वस्तुस्थिति का जायजा लेने गए हैं। हालांकि इस संबंध में कोलियरी प्रबंधन कुछ बताने से परहेज कर रहा है।

चासनाला में इसी तरह के हादसे में चली गई थी 380 मजदूरों की जान: करीब 35 वर्ष पहले 27 दिसंबर 1975 को चासनाला के भूमिगत कोयला खदान में हुए इसी तरह के एक हादसे में 380 मजदूरों की जान चली गई थी। बाद में इस विषय पर बॉलीवुड में काला पत्‍थर नाम से एक फिल्‍म भी बनाई गई थी।

खदान में विस्फोट होते ही तेजी से होने लगा पानी का रिसाव: जानकारी के अनुसार, शुक्रवार की द्वितीय पाली में मजदूरों ने खुदिया कोलियरी के बीपी सीम के 34 व 35 लेवल में कोयला निकालने के लिए ड्रिल मशीन से छेद कर उसमें बारूद भरकर विस्फोट किया। विस्फोट होते ही खदान में 6 इंच ड्रिल वले स्थान से उतने ही दायरे से पानी का तेजी से रिसाव होने लगा। रिसाव को रोकने का मजदूरों ने काफी प्रयास किया। परंतु पानी का रिसाव बंद नहीं हुआ। उसके बाद मजदूरों में अफरा तफरी मच गई। माइनिंग सरदार एवं ओवरमैन ने मजदूरों की सहायता से कोयला कोयला उत्पादन के लिए लगे एसडीएल मशीन को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। उसके बाद सभी मजदूरों के सहयोग से एक मोटर पंप को सुरक्षित स्थान पर ले आने में कामयाब रहे। तब तक एक मोटर पंप से पानी में डूब गया। पानी का रिसाव कहां से एवं कैसे होने लगा । अंदर से मजदूरों ने इसकी सूचना कोलियरी के अभिकर्ता एवं प्रबंधक को दी। उसके बाद अभिकर्ता एवं प्रबंधक आनन-फानन में खदान के अंदर पहुंच कर स्थिति का अवलोकन करने में लगे हुए।

[पानी का रिसाव होने के बाद खदान के बाहर खड़े कामगार]

बीपी सिम के नीचे कालीमाटी व ऊपर एमएस सिम: खुदिया कोलियरी के बीपी सिम में वर्तमान समय में कोयले का उत्पादन हो रहा है। लगभग 1 वर्ष पूर्व डीजीएमएस द्वारा बीपी सिम के दायरे का विस्तारीकरण किया गया था। बीपी सिम के नीचे कालीमाटी सिम से पूर्व में कोयले की निकासी की गई है। कालीमाटी सिम में वर्तमान समय में पानी भरा हुआ है। वही बीपी सिम के ऊपर एमएस सिम से भी कोयले की निकासी पूर्व में की गई है। स्थानीय कार्यरत मजदूरों एवं अधिकारियों का कहना है कि एमएस सिम में कहीं भी पानी नहीं है। अधिकारियों का मानना है कि कालीमाटी सिम एवं एमएम सिम से पानी का रिसाव होने की संभावना ना के बराबर है। फिर खदान में पानी हरी रिसाव कहां से एवं कैसे हो रहा है। यह अधिकारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

खुदिया व पुसोई नदी के पानी के रिसाव की संभावना: कोलियरी में कार्यरत मजदूरों का मानना है कि हो सकता है कि पुसोई नदी एवं खुदिया नदी के किनारे अवैध उत्खनन स्थल से नदी के पानी का रिसाव खदान में हो रहा है। अवैध खनन करने वाले लोग नक्शे एवं सर्वे के हिसाब से अवैध उत्खनन का कार्य नहीं करते। आशंका है कि अवैध खनन के कारण उपरोक्त नदियों का पानी खदान में सिपेज कर रहा हो। हालांकि इस मामले की अधिकारिक रूप से कोई भी पुष्टि नहीं कर रहा है। 

chat bot
आपका साथी