Dumka: शासन-प्रशासन ने अनसुना किया तो ग्रामीणों ने खुद उकेर दिया सड़क का नक्शा

जामा के तपसी पंचायत के कामुडूमरिया संथाली टोला के मानचित्र पर अब तक कोई सड़क अंकित नहीं थी लेकिन जब ग्रामीणों ने आरइओ मुख्य पथ से कामुडुमरिया तक खुद के दम पर दो किलोमीटर लंबी कच्ची बनाकर गांव तक वाली सड़क का नक्शा बना दिया है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 05:34 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 05:34 PM (IST)
Dumka:  शासन-प्रशासन ने अनसुना किया तो ग्रामीणों ने खुद उकेर दिया सड़क का नक्शा
दो किलोमीटर लंबी कच्ची बनाकर गांव तक वाली सड़क का नक्शा बना दिया है।

संवाद सहयोगी, जामा, (दुमका) : यह हकीकत जामा के कामुडुमरिया गांव की है। आजादी के बाद से अब तक इस गांव के ग्रामीणों को एक सड़क तक नसीब नहीं हो सका है। गांव के ग्रामीण शासन-प्रशासन से आरजू-मिन्नत और गुहार लगाकर थक चुके थे। अंत में तय किया की सामूहिक कोशिश और श्रमदान से ही आने-जाने लायक सड़क बनाई जाए। फिर क्या था गांव के ग्रामीण एकजुट हुए और आपस में ही सड़क निर्माण के लिए राशि जमा की फिर तकरीबन 250 ग्रामीण जुटे और तकरीबन दो किलोमीटर की लंबी कच्ची सड़क तीन दिनों के अंदर तैयार कर दी। प्रतिदिन आठ-आठ घंटा काम किया और बिना थके और रुके गांव के नक्शे पर सड़क

को उकेर दिया।

गांव के नक्शे में सड़क नहीं होने के कारण नहीं बन रही थी सड़क: ग्रामीणों का कहना है कि कई बार सड़क निर्माण के लिए आपस में बैठक किए थे लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा था। कारण गांव के मानचित्र पर सड़क का कोई नक्शा ही दर्ज नहीं था। इसकी वजह से नेता और प्रशासन खतियान में सड़क दर्ज नहीं होने से का बहाना बनाकर ग्रामीणों की मांग को नकार रहे थे। आजादी के बाद से अब तक सड़क नहीं बनने के कारण ग्रामीण त्रस्त थे। शासन, प्रशासन, सांसद व विधायक से निहोरा करके थक चुके थे।

अब पंगडिय़ों पर नहीं बल्कि सड़क पर चलकर पहुंचेंगे गांव तक: जामा के तपसी पंचायत के कामुडूमरिया संथाली टोला के मानचित्र पर अब तक कोई सड़क अंकित नहीं थी लेकिन जब ग्रामीणों ने आरइओ मुख्य पथ से कामुडुमरिया तक खुद के दम पर दो किलोमीटर लंबी कच्ची बनाकर गांव तक वाली सड़क का नक्शा बना दिया है। तकरीबन 300 आबादी वाले पहाडिय़ा बाहुल्य से गांव की आबादी इसलिए खुश है कि सड़क बन जाने से अब आवागमन में परेशानी नहीं होगी।

इनके प्रयासों ने दिखाया रंग : आदेश टुडू, मंडल किस्कू, कमल किस्कू, सनत किस्कू, अनिल किस्कू, जीतू मरांडी, साहेबधन किस्कू, लुथु टुडु, मोहन सोरेन, सोनाधन टुडु, सूर्या किस्कू,पुलिस मरांडी, दरोगा मरांडी, कुंदन सोरेन, रागान सोरेन,बाबूजी मरांडी, मीना हेंब्रम, माइनो मुर्मू, बहादी हेम्ब्रम, सुमित्रा हेंब्रम, पकु मरांडी,सुरेश किस्कू, बबलू मरांडी, दिलीप मरांडी समेत कई ग्रामीण युवाओं के गंभीर प्रयास के कारण दो किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण संभव हो सका है।

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