मांगों को लेकर टासरा प्रोजेक्ट के पास ग्रामीणों का बेमियादी धरना जारी

सेल के टासरा प्रोजेक्ट में रोजगार की मांग प्रभावित गांवों में पेयजल-शौचालय की व्यवस्था एक साथ जमीन का अधिग्रहण व पुनर्वास सहित 15 सूत्री मांगों को लेकर टासरा रोहड़ाबांध विस्थापित संघर्ष मोर्चा का बेमियादी धरना दूसरे दिन रविवार को भी जारी रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:40 PM (IST)
मांगों को लेकर टासरा प्रोजेक्ट के पास ग्रामीणों का बेमियादी धरना जारी
मांगों को लेकर टासरा प्रोजेक्ट के पास ग्रामीणों का बेमियादी धरना जारी

संस, सिदरी : सेल के टासरा प्रोजेक्ट में रोजगार की मांग, प्रभावित गांवों में पेयजल-शौचालय की व्यवस्था, एक साथ जमीन का अधिग्रहण व पुनर्वास सहित 15 सूत्री मांगों को लेकर टासरा रोहड़ाबांध विस्थापित संघर्ष मोर्चा का बेमियादी धरना दूसरे दिन रविवार को भी जारी रहा। टासरा प्रोजेक्ट कांटा घर के सामने संघर्ष मोर्चा से जुड़े ग्रामीण धरना दे रहे हैं। संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष गोवर्धन मंडल ने कहा कि प्रशासन ने सेल के टासरा प्रोजेक्ट के लिए टासरा, रोहड़ाबांध में 224 एकड़ भूमि चिन्हित किया था। इसे टासरा प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित किया जाना था। लेकिन सेल टासरा प्रबंधन फिलहाल 27 एकड़ भूमि में ही प्रोजेक्ट का काम कर रहा है। सेल टासरा प्रोजेक्ट के डीजीएम ने कहा कि इनमें सेल ने बीसीसीएल से 15 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया है। जबकि रैयतों से 12 एकड़ भूमि ली गई है। टासरा के रैयत एकमुश्त भूमि अधिग्रहण चाहते हैं। ताकि भूमि के एवज में एकमुश्त मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार प्राप्त हो सके। सेल टासरा प्रबंधन ने कहा कि प्रोजेक्ट में फिलहाल 15 माह के लिए निविदा जारी की गई है। इस अवधि में 4.80 लाख मिट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया जाना है। टासरा प्रोजेक्ट के लिए माइंस डेवलपमेंट एंड आपरेशन (एमडीओ) के लिए नए सिरे से निविदा होनी है। सेल प्रबंधन ने इसके लिए इस्पात मंत्रालय में प्रस्ताव भेजा है। एमडीओ टासरा प्रोजेक्ट में 28 वर्षों के लिए कोयले का उत्पादन करेगा। एमडीओ के आने के बाद ही एकमुश्त 224 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किए जाने की संभावना है। मोर्चा एक मुश्त भूमि का अधिग्रहण, पुनर्वास, विस्थापितों के लिए रोजगार, रैयतों के लिए गांव में पेयजल, शौचालय, प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित जल छिड़काव, ब्लास्टिग से क्षतिग्रस्त हुए मकानों की मरम्मत करने की मांग कर आंदोलन कर रहे हैं। गोवर्धन ने रैयतों के आंदोलन को लेकर प्रबंधन के उदासीन रवैया पर नाराजगी जताई है। चेतावनी दी कि प्रबंधन ने तत्काल सकारात्मक पहल नहीं की तो ग्रामीण प्रोजेक्ट का चक्का जाम करने को बाध्य होंगे।

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