Indian Railways: बासी खाना ताजा बहाना... भाई, घर का तो खाना है नहीं, रेल में जो मिलता खा लो

Indian Railways रेल अफसर खुद बोतलबंद पानी पीएंगे। कर्मचारियों के लिए पीना तो छोडि़ए नहाने के लिए भी साफ पानी नहीं मिलेगा। पानी मांगने पर जवाब ऐसा मिलेगा कि पूछिए मत। कोरोना काल में रेलवे के पास धन की कमी कोई नई बात नहीं है।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 07:17 AM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 07:17 AM (IST)
Indian Railways: बासी खाना ताजा बहाना... भाई, घर का तो खाना है नहीं, रेल में जो मिलता खा लो
रेलवे की खानपान की व्यवस्था ( सांकेतिक फोटो)।

तापस बनर्जी, धनबाद। ट्रेनों मेें खानपान की व्यवस्था से तो सब वाकिफ है। ज्यादा पैसा लेने पर भी सही खाना मिलने की कोई गारंटी नहीं है। खाना भले ही बासी मिले, बहाना हमेशा ताजा रहता है। एक अक्टूबर को जबलपुर से हावड़ा जा रही शक्तिपुंज एक्सप्रेस के थर्ड एसी कोच के यात्रियों को बासी खाना परोसा गया। वेंडर ने हर यात्री से 60 रुपये वसूला। वो पूड़ी-सब्जी का पैकेट थमाकर चलता बना। खाने का पैकेट खोलते ही दुर्गंध ने सब्जी के बासी होने की चुगली कर दी। नाराज यात्रियों ने पैंट्रीकार के मैनेजर पर खूब भड़ास निकाली। मैनेजर बाबू के पास बहाने की भी कमी नहीं। बोल गए कि बाहर के वेंडर ने रेलवे की पोशाक पहन ली थी और वो खराब खाना बेचकर निकल गया। इससे पहले कि मामला आगे बढ़ता, आरपीएफ जवान ने शिकायत करने वाले को खाना का ताजा पैकेट दिया ताकि मामला रफा-दफा हो जाय।

फिटकरी खरीदने को पैसे नहीं

रेल अफसर खुद बोतलबंद पानी पीएंगे। कर्मचारियों के लिए पीना तो छोडि़ए, नहाने के लिए भी साफ पानी नहीं मिलेगा। पानी मांगने पर जवाब ऐसा मिलेगा कि पूछिए मत। कोरोना काल में रेलवे के पास धन की कमी कोई नई बात नहीं है। कई परियोजनाएं राशि नहीं मिलने के कारण बंद है। फंड की इतनी कमी हो चुकी है कि अपने कर्मचारियों के लिए फिटकरी तक नहीं खरीद पा रही है। अब देखिए न। गोमो के बी-टाइप रेल कालोनी में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। जलापूर्ति विभाग के कर्मचारी से पूछा गया तो जवाब मिला कि एक महीने पहले फिटकरी खत्म हो चुकी है। इसी बीच बारिश हो गई तो पानी गंदा हो गया। फिटकरी मिल जाएगा तो लोगों को साफ पानी मिलने लगेगा। जवाब सुनकर कर्मचारी भी दंग हैैं। धनबाद रेल मंडल 15 हजार करोड़ कमाता है। फिटकरी तो जरूर खरीदा जायेगा।

रूलबुक चाहिए, शिकायत कीजिए

रेलवे का एक टिकट चेकिंग स्टाफ अभी सुर्खियों में हैैं। इंटरनेट मीडिया पर उनका वीडियो वायरल है। वीडियो में टीटीई और यात्री आमने सामने होते दिख रहे हैं। वाकया 21 सितंबर का है। यात्री गोमो से चलने की बात कह रहे हैं पर टीटीई सुनने को तैयार नहीं है। फाइन काटकर रसीद थमा दिया। यात्री जब रूल बुक मांग रहे हैं तो टीटीई बाबू कह रहे है कि शिकायत कीजिए। इसी बीच एक और यात्री टीटीई से उलझ पड़े हैं। मगर बाबू बेफिक्र हैं। कह रहे हैं कि अगर हम गलत हैं तो रेलवे हम पर कार्रवाई करेगा। जाइए शिकायत कर दीजिए। नाम पूछने पर जेब से आईकार्ड निकाल बोले, विमल रोशन टीके। मामला रेलवे के अफसरों तक जा पहुंचा है। अधिकारी कह रहे हैं कि छानबीन में टीटीई को सही पाया गया है। यह भी कह रहे हैं कि टीईटी की काउंसलिंग की गई है।

यहां एक अनार सौ बीमार

पुरानी कहावत है, एक अनार सौ बीमार। नेताओं पर यह कहावत पूरी तरह लागू होती है। 28 सितंबर को झारखंड से गोवा जानेवाली पहली ट्रेन सज-धज कर जसीडीह स्टेशन पर खड़ी थी। पहले तो रेल मंत्री ने आनलाइन समारोह में हरी झंडी दिखा दी। उनके साथ जसीडीह में माननीय ने भी झंडी हिला कर ट्रेन को रवाना किया। उसके बाद तो ट्रेन को हरी झंडी दिखाने की होड़ मच गई। ट्रेन में भाजपा के कई शीर्ष नेता सवार थे। जैसे ही ट्रेन धनबाद पहुंची, स्वागत के लिए कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। श्रेय लेने की होड़ यहीं खत्म नहीं हुई। ट्रेन जब रांची पहुंची तो वहां भी माननीय झंडी दिखाने पहुंच गए। खैर, झारखंड में यह कोई नई बात नहीं है। नेताजी सोचते हैैं कि लोगों को गफलत में डाल देंगे। वो शायद यह गाना भूल जाते हैैं, ये जो पब्लिक है सब जानती है।

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