बगैर पुस्तकों के ही ऑनलाइन पढ़ाई करने को विवश है दो लाख बच्चे Dhanbad News
जिले के दो लाख बच्चों के बीच निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का निशुल्क वितरण होना है। लेकिन अब समय पर पाठ्य पुस्तकों के मिलने की संभावना कम होती दिख रही है। क्योंकि पुस्तकों के वितरण को लेकर शिक्षक कतरा रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन : जिले के दो लाख बच्चों के बीच निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का निशुल्क वितरण होना है। लेकिन अब समय पर पाठ्य पुस्तकों के मिलने की संभावना कम होती दिख रही है। क्योंकि पुस्तकों के वितरण को लेकर शिक्षक कतरा रहे हैं।
वहीं शिक्षक संघ ने तो पुस्तक वितरण करने और स्कूलों नामांकन प्रक्रिया की तय तिथि पर पर पुर्नविचार की मांग करने लगे हैं। गुरुवार को अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव से मांग कर रहे है कि कोविड संक्रमण की गंभीर स्थिति को देखते हुए पुस्तक वितरण और नामांकन की तिथि पर फिर से विचार करें।
संघ के प्रदेश महासचिव राममर्ति ठाकुर ने सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि बच्चों को उनकी पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए के लिए पुस्तक वितरण और नामांकन अनिवार्य है। साथ ही छात्र, शिक्षकों और अभिभावकों को कोविड संक्रमण से बचाव भी अति आवश्यक है।
कई शिक्षक कोरोना से संक्रमित हैं तो कई शिक्षकों की मृत्यु कोविड के कारण हो चुकी है। इसलिए संघ यह मांग करता है कि ऐसी असामान्य स्थिति में 15 मई की अनिवार्यता को शिथिल करने पर विचार करें। जहां तक बच्चों के पढ़ाई की बात है तो शिक्षक डिजी साथ, डिजिटल कांटेंट के माध्यम से बच्चों के संपर्क में है और उन्हें पढ़ाई के प्रति उचित मार्गदर्शन दे रहे हैं।
संक्रमण की गति धीमी होते ही इस कार्य को पूर्ण कर लिया जाएगा। बताते चले कि जिले के 1727 स्कूलों के करीब दो लाख नामांकित बच्चों को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध करानी है। तीन मई से बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई है। लेकिन वे उन बच्चों को मिलने वाली निशुल्क किताबें अब तक नहीं मिली है। जबकि पुस्तकें प्रखंड से स्कूलों तक पहुंच गई है।
पूर्व में पांच तक पुस्तकों का वितरण करना था। फिर उसे 15 मई किया गया है। अब शिक्षक संघ ने संक्रमण का हवाला देकर पुस्तकों के वितरण नहीं करने की मांग कर रहे हैं। जिसके कारण फिलहाल बच्चों को किताबें मिलने की उम्मीद नजर नहीं दिख रही है।