कोयले की धरती पर शिमला मिर्च की खेती कर रहे किसान भाई, जानें हर माह कितनी हो रही आमदनी Dhanbad News
कोलयांचल में दो किसान भाईयों ने शिमला मिर्च की खेती शुरु की है। इन्हें देखकर गांव के अन्य किसान भी शिमला मिर्च की खेती कर रहे है। इससे प्रतिमाह 10 हजार रुपए तक की बचत हो जाती है।
धनबाद, [सपन कांजीलाल]। शिमला मिर्च की खेती खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक होती है, लेकिन अब कोयलांचल में भी किसान शिमला मिर्च की खेती करने लगे हैं। कलियासोल प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र सालुकचापड़ा गांव के अंतिम छोर में दो किसान भाईयों ने शिमला मिर्च की खेती शुरु की है। गांव के निपेन आचार्य व प्रदीप आचार्य ने शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। इनके शिमला मिर्च का अच्छा पैदावार देख आंखद्वारा पंचायत स्थित तेतूलिया गांव के अमर भंडारी ने भी शिमला मिर्च की खेती शुरू की है।
निपेन आचार्य बताते हैं कि दो साल पूर्व रांची कृषि विभाग के सहयोग से हमारी जमीन पर एक ग्रीन हाउस का निर्माण हुआ। इसके बाद हम दोनों भाईयों ने खिरा, करेला, झींगा, कोहड़ा, कद्दू, बैगन की खेती करने लगे। फिर हमने शिमला मिर्च की पैदावारी का प्रयोग किया। दूसरे राज्यों से शिमला मिर्च का बीज लाकर इसकी खेती की शुरुआत की। इस साल शिमला मिर्च का पैदावार उत्साहजनक हुआ। सब्जी को आसपास के गांवों के बाजार में जाकर बेचते हैं। इससे दोनों भाईयों को प्रतिमाह 10 हजार रुपए तक बचत कर लेते हैं।
ग्रीन हाउस बना खेती का सहारा : निपेन आचार्य ने बताया कि गांव के मुखिया व कलियासोल बीडीओ ललित प्रसाद सिंह के सहयोग से मनरेगा के तहत कुंआ का निर्माण हुआ। हालांकि, बिजली के अभाव से फसल को हाथ से पानी पटाना पड़ता है। बिजली विभाग को लिखित आवेदन देने के बाद पोल लग गए हैं। बिजली लगने से पैदावार में सहूलियत होगी। दो साल पहले ग्रीन हाउस का निर्माण कराया। ग्रीन हाउस से कृषि कार्य सार्थक हुआ है। शिमला मिर्च की खेती में काफी उपयोगी साबित हुआ है।
बेटे को एग्रीकल्चर की पढ़ाई करवा रहे : निपेन ने अपने 19 वर्षीय पुत्र अरिदम आचार्य को भी इग्नू से एग्रीकल्चर की पढाई करवा रहे हैं, ताकि कृषि के बारे में विशेष जानकारी मिल सके। उनका कहना है कि अगर सरकार से आगे और सहायता मिली तो कृषि कार्य से समृद्ध बनने की इच्छा है।