कुत्ता और सांप काटने का अब आयुष्मान से इलाज, एसएनएमएमसीएच में शुरू हुई तैयारी
आयुष्मान कार्ड के तहत अब सात कुत्ता काटने पर भी इलाज किया जा सकेगा। इसके साथ ही जहर खाने वाले लोगों का भी इलाज इलाज आयुष्मान से हो पाएगा। केंद्र सरकार ने इसमें इन तीनों को भी जोड़ दिया है। एसएनएमएमसीएच के आयुष्मान केंद्र को निर्देश आ गया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: आयुष्मान कार्ड के तहत अब सात कुत्ता काटने पर भी इलाज किया जा सकेगा। इसके साथ ही जहर खाने वाले लोगों का भी इलाज इलाज आयुष्मान से हो पाएगा। केंद्र सरकार ने इसमें इन तीनों को भी जोड़ दिया है। इसकी सूचना एसएनएमएमसीएच के आयुष्मान केंद्र को निर्देश आ गया है। निर्देश आने के बाद केंद्र में इसकी अलग से तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। केंद्र के प्रभारी जयंत रेड्डी ने बताया कि डॉग बाइट (कुत्ता काटने) स्नेक बाइट (सांप काटने) और पॉइजनिंग (जहर खाने) का इलाज अब तक आयुष्मान कार्ड के तहत नहीं हो पा रहा था। अब इन तीनों को भी जोड़ दिया गया है। इससे वैसे लोगों को लाभ मिलेगा जो इस से पीड़ित है।
दवा दुकान से करार, समय पर मिलेगी दवा
जयंत ने बताया कि इसके तहत दवा दुकान से करार किया गया है। ऐसे गंभीर मरीज को अस्पताल आने के साथ ही अपना आयुष्मान कार्ड केंद्र पर दिखाना होगा। इसके बाद केंद्र की ओर से अप्रूवल मिलते ही तत्काल दवाइयां उपलब्ध कराई जाएगी। बाकी इस समय पर मरीज को दवा मिल पाए और आर्थिक परेशानी से भी बचना पड़े। धनबाद जिले में फिलहाल आयुष्मान कार्ड से 31 अस्पताल निबंधित है।
पॉइजनिंग के कैसे करना होगा पुलिस केस
आयुष्मान के तहत पॉइजनिंग का इलाज करने के लिए पहले लागू को पुलिस केस करना होगा। नियमों के अनुसार बिना पुलिस केस किए हुए इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। पुलिस में इसकी सूचना देनी अनिवार्य होगी। ऐसे केस में पुलिस भी आयुष्मान केंद्र को घटना की सत्यता के बारे में बताएगी। इसके बाद ही संबंधित मरीज का आयुष्मान के तहत आगे इलाज शुरू किया जाएगा। अन्यथा इलाज की सेवा नहीं मिल पाएगी।
ग्रामीण इलाके में सबसे ज्यादा स्नेक बाइट की घटनाएं
बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा सर्च द स्नेक बाइट की घटनाएं ग्रामीण इलाके में होने लगती है। जबकि किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एंटी स्नेक वेनम नहीं रहता है। समय पर इलाज नहीं होने और अस्पताल से दूरी होने के वजह से कई मरीजों की जान रास्ते में ही चली जाती है। लेकिन अब आयुष्मान कार्ड होने के बाद इसका इलाज समय पर किया जा सकता है।