कोरोना को मात देने के ल‍िए एक ही समय में 1500 परिवार के घरों में वैदिक यज्ञ Dhanbad News

कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रही आम जनता के दुखों के निवारण और जागरूकता को लेकर सोमवार को सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा की ओर से यज्ञ का आयोजन किया गया। सम्पूर्ण विश्व वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 02:44 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 02:44 PM (IST)
कोरोना को मात देने के ल‍िए एक ही समय में 1500 परिवार के घरों में वैदिक यज्ञ Dhanbad News
सम्पूर्ण विश्व वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन : कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रही आम जनता के दुखों के निवारण  और जागरूकता को लेकर सोमवार को सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा की ओर से यज्ञ का आयोजन किया गया। सम्पूर्ण विश्व वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है।

हर हर कोई अपने अपने तरीके से इस महामारी से बचाने और बचने का प्रयास कर रहा है। यज्ञ किसी पंडाल या मैदान में नहीं, बल्कि हर घर में किया गया। एक ही दिन, एक साथ और एक ही समय में 1500 घरों में यह यज्ञ हुआ। प्रस्तावित कार्यक्रम का नाम घर घर यज्ञ, हर घर यज्ञ रखा गया था।

आर्य समाज निरसा के तत्वावधान में बैजना कार्यालय में यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। मुख्य कार्यक्रम यहीं हुआ। राजार्य सभा के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष हरहर आर्य ने कहा कि मानव समाज की भलाई के लिए विश्व के लोग एक साथ, एक समय अपने अपने घर पर, कार्य स्थल पर यज्ञ किया। जड़ी बूटी से बनी हवन सामग्री और देसी गौ घी से पूर्णाहुति हुई।

धनबाद से राजेश वर्णवाल, गोविन्दपुर से राजू कुमार, निरसा अशोक घाटी, मुगमा ललिता चौहान, चिरकुंडा से गांधारी शर्मा को क्षेत्र का प्रभार दिया गया था। पूरे धनबाद जिले अंतर्गत 1500 परिवार के घरों में वैदिक यज्ञ किया गया। घर घर यज्ञ, हर घर यज्ञ का आयोजन आर्य समाज की सर्वोच्च संस्था सार्वदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा की देखरेख में हुआ। 

हरहर आर्य ने बताया कि यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्त्व वायुमण्डल में फैलाये जाते हैं, उनसे हवा में घूमते असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं। डीडीटी, फिनायल आदि छिड़कने, बीमारियों से बचाव करने वाली दवाएँ आदि सब ठीक है, लेकिन यज्ञ भी जरूरी है। कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है।

दवाओं में सीमित स्थान एवं सीमित व्यक्तियों को ही बीमारियों से बचाने की शक्ति है, पर यज्ञ की वायु तो सर्वत्र ही पहुँचती है। सभी प्राणियों की भी सुरक्षा करती है। मनुष्य की ही नहीं, पशु-पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष-वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। जहाँ यज्ञ होते हैं, वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है।

प्राचीनकाल में तीर्थ वहीं बने हैं, जहाँ बड़े-बड़े यज्ञ हुए थे। जिन घरों में, जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है और वहाँ जिनका आगमन रहता है, उनकी मनोभूमि उच्च, सुविकसित एवं सुसंस्कृत बनती हैं। महिलाएँ, छोटे बालक एवं गर्भस्थ बालक विशेष रूप से यज्ञ शक्ति से अनुप्राणित होते हैं। उन्हें सुसंस्कारी बनाने के लिए यज्ञीय वातावरण की समीपता बड़ी उपयोगी सिद्ध होती है। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रधान-डॉ यशवन्त सिंह, देवनाथ मिश्रा, संतोष सिंह, प्रह्लाद आर्य, कृष्णा कुमार, पवन आर्य का विशेष सहयोग रहा।

chat bot
आपका साथी