पीने को पानी नहीं, बहाने को हजारों लीटर

जासं कतरास कोयला खदान को बचाने के लिए रोजाना लाखों लीटर जल निकाला जा रहा है। लेकिन उस

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 06:44 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 06:44 AM (IST)
पीने को पानी नहीं, बहाने को हजारों लीटर
पीने को पानी नहीं, बहाने को हजारों लीटर

जासं, कतरास: कोयला खदान को बचाने के लिए रोजाना लाखों लीटर जल निकाला जा रहा है। लेकिन उस पानी का उपयोग न करके उसे यूं ही बहाकर बर्बाद किया जा रहा है। ऐसा तब है, जबकि खदान के आसपास ही हजारों लोगों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। हालांकि कई खदानों का पानी मोहल्लों में प्रबंधन की तरफ से आपूर्ति भी की जा रही है। बहकर बर्बाद हो रहे खदान के पानी को उपयोग में लाए जाने के लिए बीसीसीएल और झारखंड की तत्कालीन सरकार के बीच मसौदा तैयार हुआ है। सरकार और कंपनी के बीच सहमति की खबर मीडिया में सुर्खियां बनीं, लेकिन नतीजा सामने नहीं आया। कारण चाहे जो रहा हो, यह सच्चाई है कि कतरास-बाघमारा कोयलांचल में दर्जनों कोयला खदानों से भारी क्षमता वाली पंप के जरिए रोजाना पानी निकालकर बहाया जा रहा है। उस पानी को सहेज कर लाखों की नगरी आबादी को लाभ पहुंचाई जा सकती है। बीसीसीसीएल के आवासों में जलापूर्ति हो सकती है।

गोविंदपुर क्षेत्र की आकाशकिनारी खदान के पास जल निष्कासन हो रहा है, लेकिन यहां से आधा किलोमीटर से कम दूरी पर बीसीसीसीएल की तिलाटांड आवासीय कॉलोनी है। 400 से अधिक आवास वाली इस कॉलोनी में जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं हो पाई है। आकाशकिनारी के उक्त खदान से कतरास कॉलेज की दूरी करीब आधा किलोमीटर है, जहां पीएचईडी की दो जलमीनार पानी के अभाव में सूखी पड़ी है। परिणामस्वरूप कतरास बाजार, तिलाटांड़ सहित वार्ड 1 और तीन की 50 हजार से अधिक की आबादी 20 दिनों से जल संकट का सामना कर रही है। कतरास कोल डंप और दुर्गा कॉलोनी के लोगों को सालों भर जल संकट का सामना करना पड़ता है। यहां भी बीसीसीएल की ओर से जलापूर्ति की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई।

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